नई दिल्ली| कोरोना संकट के दौर में कारोबार आसान करने के लिए सूक्ष्म,लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) को ऑनलाइन पंजीयन और कागजी जरूरत को कम करने का फायदा मिलता दिख रहा है। उद्यम पंजीकरण की नई ऑनलाइन प्रणाली पर अब तक 11 लाख से अधिक एमएसएमई पंजीकृत किए गए हैं। इस प्रणाली को जुलाई में पेश किया गया था। सिर्फ तीन माह में इन एमएसएमई ने एक करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार दिए हैं।
एमएसएमई मंत्रालय ने आधिकारिक बयान में कहा कि कुल पंजीकृत एमएसएमई में से 93.17 प्रतिशत सूक्ष्म उद्यम, 5.62 प्रतिशत लघु और 1.21 प्रतिशत मध्यम स्तर की इकाइयां हैं। बयान में कहा कि इसमें 7.98 लाख कंपनियों के मालिक पुरुष और 1.73 लाख की मालिक महिलाएं हैं। इसके अलावा 11,188 कंपनियों के मालिक दिव्यांगजन हैं।
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उल्लेखनीय है कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत एमएसएमई को सरकार कई तरह की रियायतें दे रही है। उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि विशेषज्ञों का कहना है कोरोना संकट में सरकार की इस पहल का बेहद सकारात्मक असर दिख रहा है और इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि नई पंजीकृत एमएसएमई में करीब 15 फीसदी का नेतृत्व महिलाओं के हाथ में है। उनका कहना है कि इससे रोजगार के अवसर बढ़ाने में बड़ी मदद मिलेगी।
उद्यम पर पंजीकृत एमएसएमई में शीर्ष पांच श्रेणियां खाद्य उत्पाद, कपड़ा, परिधान, धातु उत्पाद और मशीनरी व उपकरण से संबंधित हैं। जबकि 50 फीसदी से अधिक इकाइयां सेवा क्षेत्र में पंजीकृत हुई हैं। इसके बाद करी 25 फीसदी इकाइयां मैन्युफैक्चिरंग सेक्टर में पंजीकृत हुई हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि पंजीकरण आसान होने के साथ रियायत से भी इस क्षेत्र में कारोबारियों का आकर्षण बढ़ा है।
उद्यम पर पंजीकृत एमएसएमई में शीर्ष पांच राज्य महाराष्ट्र, तमिलनाडु, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और गुजरात हैं। उत्तर प्रदेश ने हाल के वर्षों में उद्योग जगत को काफी आकर्षिक किया है। दुनिया की नामचीन इलेक्ट्रॉनिक और मोबाइल कंपनियां पहले से यहां कारखाना लगा चुकी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि एमएसएमई की उत्साह बढ़ने से बड़े पैमाने पर कारखाने लगने और रोजगार बढ़ने की उम्मीद है।