केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने गुरुवार को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के नारे ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ पर पलटवार करते हुए राहुल गांधी पर निशाना साधा। स्मृति ईरानी ने कहा, घर पर लड़का है पर लड़ नहीं सकता।
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, स्मृति ईरानी ने एक कार्यक्रम में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव पर भी तंज कसा। ईरानी ने कहा, यूपी में चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़ा जाएगा और हमें उम्मीद है कि यहां नीति और विकास आधारित मुद्दों और लोकतंत्र को मजबूती देने पर चर्चा होगी।
प्रियंका गांधी ने पिछले महीने यूपी विधानसभा चुनाव में 40% महिलाओं को टिकट देने के ऐलान के साथ नारा दिया था कि लड़की हूं, लड़ सकती हूं। अब इस पर पलटवार करते हुए स्मृति ईरानी ने कहा, इसका मतलब ये है कि घर पर लड़का है, पर लड़ नहीं सकता। महिला उम्मीदवारों को 40 प्रतिशत टिकट देने के प्रियंका गांधी के प्रस्ताव पर स्मृति ईरानी ने कहा, “इसका मतलब है कि वह कह रही हैं कि वह महिलाओं को 60 प्रतिशत टिकट नहीं देना चाहती हैं।”
स्मृति ईरानी ने कहा, मैं ये नहीं कह रही कि लोकतंत्र और राजनीति में लोगों को कोशिश नहीं करनी चाहिए। राजनीति में हार और जीत दो पहलू हैं। मैं भी 2014 में हार गई थी। लेकिन सवाल ये है कि लोग आपके संघर्षों में कितना विश्वास करते हैं। उन्होंने राहुल गांधी का जिक्र करते हुए कहा, ‘क्या लोगों में उस व्यक्ति के प्रति भावना है।’
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समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा सरदार वल्लभभाई पटेल और मुहम्मद अली जिन्ना को एक समान बताने पर, उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि यह तुलना फिर से दिखाती है कि ‘लड़के हैं, लड़ नहीं सकते। स्मृति ईरानी ने कहा, “सरदार पटेल अतुलनीय हैं। 500 रियासतों में एकता की भावना को जगाने के लिए सरदार पटेल जिम्मेदार हैं। आप कल्पना कर सकते हैं कि वह व्यक्तित्व कितना ‘विराट’ (उदार) रहा होगा। उन्होंने कहा, क्या आप ऐसे व्यक्ति की तुलना उस व्यक्ति (जिन्ना) से कर सकते हैं, जो देश के धर्म के आधार पर बंटवारे के लिए जिम्मेदार है। एक देश को एकजुट कर रहा था और दूसरा देश को तोड़ने की दिशा में काम कर रहा था।
उन्होंने कहा कि महिला नेताओं से केवल समाज की महिला सदस्यों की देखभाल करने की अपेक्षा नहीं की जानी चाहिए। जब हम महिला नेताओं की बात करते हैं तो हम ये क्यों कहते हैं कि महिला नेताओं को सिर्फ महिलाओं के लिए काम करना चाहिए। ऐसा हम पुरुषों के लिए क्यों नहीं कहते। स्मृति ईरानी ने कहा, जब हम किसी को संवैधानिक जिम्मेदारी देते हैं तो उसकी भी जिम्मेदारी बनती है कि वह पुरुषों, बच्चों और बड़ों के लिए उतना ही काम करे, जितना महिलाओं के लिए करता है।
सलमान खुर्शीद की किताब, जिसमें हिंदुत्व की तुलना आईएसआईएस और बोको हरम से की गई है, पर स्मृति ईरानी ने कहा, खुर्शीद ने 15 साल पहले 1984 दंगों पर भी किताब लिखी थी, हिंदुओं और सिखों ने अपने पापों के लिए भुगतान किया। स्मृति ने कहा, हमें उन लोगों से पूछना चाहिए जो चुनाव के दौरान मंदिरों में जाते हैं, क्या वे जानते हैं कि सलमान साहब ने हिंदुओं और सिखों के बारे में क्या कहा। हमने ऐसा कौन सा पाप किया जो 1984 के दंगों में मारे गए।
चुनाव के समय नेताओं के मंदिर जाने के सवाल पर स्मृति ईरानी ने कहा, 2019 के चुनाव प्रचार के दौरान अमित शाह अमेठी आए थे, इस दौरान वे मस्जिद भी गए थे। तो हम सिर्फ मंदिर के बारे में बात क्यों कर रहे हैं? स्मृति ईरानी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के उस बयान पर भी पलटवार किया कि हिंदुत्व पर सभी का अधिकार है और सिर्फ एक पार्टी का नहीं। ईरानी ने कहा कि अवसरवादी हिंदू या राजनीतिक हिंदू और ‘सनातन’ हिंदुओं के बीच अंतर है। हालांकि, उन्होंने कहा, यह भी सच है कि लोकतंत्र में जो भी जिस धर्म का पालन करना चाहता है, वह उसका निजी मामला है।