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प्राकृतिक खेती के लिए समाज को जागृत और प्रशिक्षित करने की जरूरत : भागवत

मोहन भागवत

मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संघचालक मोहन भागवत ने सोमवार को कहा कि गौ आधारित एवं प्राकृतिक खेती के लिये समाज को जागृत और प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है।

श्री भागवत ने लखनऊ प्रवास के दूसरे दिन अवध प्रान्त के पदाधिकारियों से कहा कि “ कुटुंब (परिवार) संरचना प्रकृति प्रदत्त है, इसलिये इसको सुरक्षित रखना एवं उसका सरंक्षण करना भी हमारा दायित्व है। परिवार असेंबल की गयी इकाई नहीं है बल्कि यह संरचना प्रकृति प्रदत्त है, इसलिये हमारी जिम्मेदारी उनकी देखभाल करने की भी है। ”

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उन्होंने कहा “ हमारे समाज में परिवार की एक विस्तृत कल्पना है, इसमें केवल पति,पत्नी और बच्चे ही परिवार नहीं है बल्कि बुआ,काका,काकी, चाचा, चाची,दादी,दादा आदि यह सब भी प्राचीन काल से हमारी परिवार सकंल्पना में रहे हैं इसलिये परिवार में प्रारंभ काल से ही बच्चों के अंदर संस्कार निर्माण करने की योजना होनी चाहिए। उनके अंदर अतिथि देवो भवः का भाव उत्पन्न करना चाहिये और समय-समय पर उन्हें महापुरुषों की कहानियां व उनके संस्मरण भी सुनाये व सिखाये जाने चाहिये। ”

सरसंघचालक ने कहा कि गौ आधारित व प्राकृतिक खेती के लिये भी समाज को जागृत व प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है। समाजिक समरसता के विषय में कहा कि कोई भी ऐसी जाति नहीं है जिसमें श्रेष्ठ, महान तथा देशभक्त लोगों ने जन्म नहीं लिया हो। मदिंर, शमशान और जलाशय पर सभी जातियों का समान अधिकार है। महापुरुष केवल अपने श्रेष्ठ कार्यों से महापुरुष हैं और उनको उसी दृष्टि से देखे जाने का भाव भी समाज में बनाये रखना बहुत आवश्यक है।

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पिछले दिनों पर्यावरण गतिविधि और हिन्दू आध्यात्मिक एंव सेवा फाउंडेशन द्वारा किये गये प्रकृति वंदन कार्यक्रम की उन्होने सराहना की तथा कार्यकर्ताओं से समाज में देशहित, प्रकृति हित में किसी भी सामाजिक सगंठन,धार्मिक संगठन द्वारा किये जाने वाले कार्य में संघ के स्वयंसेवको को बढकर सहयोग करना चाहिये।

बैठक में कुटुंब प्रबोधन, सामाजिक समरसता, गौ सेवा, ग्राम विकास, पर्यावरण, धर्म जागरण, और सामाजिक सद्भाव गतिविधियों से जुड़े हुये कार्यकर्ता उपस्थिति थे।

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