हिंदू धर्म में शास्त्रों का बड़ा महत्व हैं जिनमें बताए गए मंत्रों का जाप ( chanting) आपके जीवन का उद्धार कर सकते हैं। इसलिए पूजा-पाठ के दौरान मंत्रों का जाप ( chanting) जरूर किया जाता हैं जो आपके सभी कामों को सिद्ध करें। देवी-देवताओं को प्रसन्न करते हुए उनकी कृपा पाने के लिए उसी अनुसार मंत्रों का जाप किया जाता हैं। लेकिन यह जानना भी जरूरी हैं कि मंत्र जाप किस तरह किया जाए क्योंकि इसमें की गई गलतियों के कारण आपको उचित फल नहीं मिल पाता हैं। आज इस कड़ी में हम आपको मंत्र जाप के दौरान अपनाए जाने वाले नियमों की जानकारी देने जा रहे हैं जिससे आपको पूर्ण फल की प्राप्ति हो सके।
इस तरह बैठकर करें मंत्र जाप
मंत्र जाप करते समय कमर को एक दम सीधा रखते हुए पद्मासन या सुखासन लगाकर बैठना चाहिए। इसके साथ ही चेहरे को भी सीधा रखना चाहिए। मंत्र जाप करने के लिए हमेशा शुद्ध ऊनी आसन बिछाकर ही बैठना चाहिए। मंत्र जाप के लिए हमेशा शांत जगह का चुनाव करना चाहिए। जिससे आपका ध्यान पूरी तरह से एकाग्र रहे। यदि आप मंदिर में बैठकर जाप कर रहे हैं तो यह उत्तम रहता है।
माला फेरते समय रखें इस बात का ध्यान
माला को सीने से लगभग 4 अंगुल की दूरी पर रखें। माला को इस तरह से पकड़े की माला न तो आपकी नाभि से नीचे होनी चाहिए और न ही आपकी नाक से ऊपर जाए। माला फेरते समय ध्यान रखें कि माला को दाहिने हाथ की उंगलियों पर रखकर अंगूठें से फेरना चाहिए। माला को हमेशा गौमुखी में रखकर ही जाप करना चाहिए। इससे आपकी माला भूमि से स्पर्श होने का डर भी नहीं रहता है, इसके साथ ही यदि धोखे से माला हाथ के छूट जाती है तो वह भूमि पर नहीं गिरती है।
इस तरह होनी चाहिए माला
हर देवी-देवता के मंत्र का जाप अलग-अलग मालाओं का प्रयोग किया जाता है। मनोकामना पूर्ति के लिए मंत्र जाप करते समय उक्त देवी-देवता की माला से ही जाप करना उचित रहता है। जैसे भगवान शिव के मंत्र जाप के लिए रूद्राक्ष, विष्णु जी के मंत्र जाप के लिए तुलसी की माला उत्तम रहती है। कभी भी मंत्र जाप के लिए प्लास्टिक की माला का प्रयोग न करें।