हिंदू धर्म में अमावस्या के दिन का विशेष महत्व होता है। खासकर जब यह सोम यानी सोमवार के दिन पड़ती है, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दिन वृद्धि योग और मूल नक्षत्र का शुभ संयोग बन रहा है, जो इसे और भी फलदायी बना रहा है। इसे सुख-समृद्धि और शांति का प्रतीक माना जाता है। पंचांग अनुसार, 30 दिसंबर को सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) पर वृद्धि योग बन रहा है। वहीं, मूल नक्षत्र इस दिन को और भी पवित्र बनाता है। इस संयोग में किए गए धार्मिक कार्य और पूजा अत्यधिक फलदायी होते हैं। यह योग धन-धान्य, समृद्धि और परिवार के कल्याण के लिए श्रेष्ठ माना गया है।
सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) उपाय:
ऐसा माना जाता है कि पीपल में सभी देवताओं का वास होता है। महिलाएं इस दिन पीपल के वृक्ष की परिक्रमा कर सुख-समृद्धि और परिवार की लंबी आयु की कामना करती हैं। थाल में दीप, कच्चा दूध, गंगाजल और अक्षत लेकर वृक्ष की पूजा करें। पीपल वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं और गंगाजल अर्पित करें। पीपल को कच्चा दूध, जल, हल्दी और चावल अर्पित करें। वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करें। वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करें। सुख-समृद्धि की मंगल कामना करें।
सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) के दिन कैसे करें पूजा:
प्रात: काल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। गणेश जी को प्रणाम करें। विष्णु जी और शिव जी का पंचामृत सहित गंगाजल से अभिषेक करें। अब प्रभु को चंदन और पुष्प अर्पित करें। दीपक प्रज्वलित करें। चालीसा का पाठ करें। पूरी श्रद्धा के साथ विष्णु जी की आरती करें। तुलसी दल सहित भोग लगाएं। अंत में क्षमा प्रार्थना करें। ॐ नम: शिवाय या ॐ विष्णवे नम: का जाप करें। अंत में हाथ जोड़कर परिवार की सुख-समृद्धि और शांति के लिए प्रार्थना करें।
पितृ तर्पण और दान का महत्व:
इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करना और दान देना भी अत्यंत शुभ माना जाता है। गायों को चारा खिलाना, गरीबों को भोजन कराना और कपड़े या धन का दान करना पुण्यकारी होता है।
पीपल वृक्ष की पूजा, पितृ तर्पण और दान-पुण्य से न केवल सुख-समृद्धि प्राप्त होगी, बल्कि मानसिक शांति और आत्मिक संतोष भी मिलेगा।