मध्यप्रदेश के इंदौर की एक अदालत ने दिव्यांग मां का दैहिक शोषण करने के एक मामले में आरोपी को दस-दस वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है।
जिला सत्र न्यायालय की विशेष सत्र न्यायाधीश मनीषा बसेर ने सजा सुनाते हुए सामाजिक व्यवस्था में ऐसे अपराधों को जघन्य और बेहद घिनोने श्रेणी का माना जाता है।
अतिरिक्त लोक अभियोजक जयंत दुबे ने बताया कि पीड़िता के साथ लंबे समय से हो रही इस अमानवीय घटना को वो जाहिर करने में भी असक्षम थी। मूकबधिर होने के चलते वो घटना का विरोध भी नहीं कर पाती थी। वर्ष 2013 के एक दिन पीड़िता की विवाहित बेटी जब उससे मिलने घर पहुँची, तब उसे मां के शरीर पर चोट के निशान देख शंका हुई।
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इसके बाद मां ने बिटिया को अपनी आपबीती सुनाई। तद्पश्चात अपराध दर्ज कराया जा सका। अदालत ने आरोपी पुत्र को खिलाफ 7 लोगों की गवाही पर अलग-अलग धाराओं में सजा सुनाई है।