केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाए गए पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) 2020 ड्राफ्ट की हर ओर आलोचना हो रही है। विपक्षी पार्टियों से लेकर पर्यावरण का मुद्दा उठाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता भी इसका विरोध कर रहे हैं। अब कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस मसले पर एक लेख लिखा है, जिसमें उन्होंने मोदी सरकार की इस नीति की कड़ी आलोचना की है।
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एक अंग्रेजी अखबार में सोनिया गांधी ने लिखा, ‘अगर आप प्रकृति की रक्षा करेंगे, तो वो आपकी रक्षा करेगी। हाल ही के वक्त में दुनिया में कोरोना वायरस का जो संकट पैदा हुआ है, वो मानवों को एक नई सीख देता है। ऐसे में हमारा फर्ज है कि हम पर्यावरण की रक्षा करें’
सोनिया ने लिखा, ‘हमारे देश ने विकास की रेस के लिए पर्यावरण की बलि दी है, लेकिन इसकी भी एक सीमा तय होनी चाहिए। पिछले 6 साल में इस सरकार का रिकॉर्ड ऐसा ही रहा है जिसमें पर्यावरण को लेकर रक्षा करने पर विचार नहीं है, आज दुनिया में इस मामले में हम काफी पीछे हैं। महामारी के कारण सरकार को विचार करना चाहिए था, लेकिन इसे अनदेखा किया जा रहा है’।
कांग्रेस अध्यक्ष ने निशाना साधते हुए कहा कि चाहे कोयला खदानों की बात हो या फिर अब EIA का नोटिफिकेशन, किसी से भी राय नहीं ली जा रही है। गुजरात के सीएम के तौर पर जब से लेकर अबतक नरेंद्र मोदी का ट्रैक रिकॉर्ड पर्यावरण को लेकर खराब रहा है, अब भी सरकार ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस के नाम पर नियमों को उजाड़ रही है।
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पर्यावरण के अलावा सोनिया गांधी ने आदिवासियों के मसले पर भी सरकार को घेरा, कांग्रेस अध्यक्ष ने लिखा कि यूपीए ने जो एक्ट पास किया था उसे सरकार ने बदल दिया। इंदिरा गांधी लंबे वक्त से जंगलों के बचाव का मुद्दा उठाती रहीं, कांग्रेस भी उसी पर आगे बढ़ी है।
सोनिया ने लिखा कि केंद्र सरकार ने रिफॉर्म के नाम पर सिर्फ अमीर उद्योगपतियों का फायदा किया है, लेकिन अब वक्त है जब हमें पब्लिक हेल्थ में निवेश करना होगा।
कांग्रेस अध्यक्ष ने मांग की है कि छोटे कारोबारियों को सब्सिडी देनी चाहिए, नई पर्यावरण नीति लाने का कोई विरोध नहीं कर रहा है लेकिन इसे वैज्ञानिक तरीके से, लोगों और एक्सपर्ट से बात करके लाना चाहिए। आप अविरल गंगा के बिना निर्मल गंगा नहीं बना सकते हैं। सोनिया गांधी से पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी इस मसले पर केंद्र सरकार को घेर चुके हैं और इस नए ड्राफ्ट को सरकार की लूट बता चुके हैं।