नई दिल्ली| अगर आप त्योहारी सीजन में सेकेंड हैंड कार खरीदने की तैयारी कर रहे हैं तो आपको जल्द ही एक से बढ़कर एक विकल्प मिलने वाले हैं। दरअसल, कोरोना संकट के कारण लाखों लोगों को नौकरी गंवानी पड़ी है। वहीं, इससे कई गुना अधिक लोगों को वेतन कटौती का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में आशंका है कि आने वाले दिनों में बड़ी संख्या में लोग कार लोन दे पाने में डिफॉल्ट करेंगे। इससे बैंकों की जब्ती की कार्रवाई से बाजार में सेकेंड हैंड कारों की संख्या बढ़ेगी।
बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएसफसी) लोन पर ली गई ऐसी कारों को जब्त करने की कार्रवाई दोबारा शुरू कर सकती है जहां रिपेमेंट नहीं हो रहा है। सेकेंड हैंड कार बाजार में ऐसे वाहन की संख्या एक-तिहाई होती है लेकिन, पिछले छह महीनों में इस तरफ से आपूर्ति में कमी आई है। मोरेटोरियम के कारण वित्तीय संस्थान डिफॉल्टरों के खिलाफ कदम नहीं उठा सके थे।
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ओएलएक्स की रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों में पुरानी कारों का अच्छा बाजार है। पुरानी कारों की मांग और आपूर्ति का करीब 70 फीसदी नॉन-मेट्रोज में है। कंपनी की ओर से कराए गए सर्वे के मुताबिक, 61 फीसदी ग्राहक अगले तीन से छह महीनों में सेकेंड कार खरीदने की योजना बना रहे हैं।
ओएलएक्स इंडिया के अनुसार, फरवरी के मुकाबले अगस्त में उसके प्लेटफॉर्म पर सेकेंड हैंड कारों की डिमांड 133 फीसदी ज्यादा थी। वहीं, आपूर्ति के मोर्चे पर ग्रोथ सुस्त थी। सेकेंड हैंड लग्जरी कार की बिक्री के मामले में महाराष्ट्र, दिल्ली, केरल, तमिलनाडु, और कर्नाटक शीर्ष पर आते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसले कहा है कि कर्ज की किस्तें पूरी होने तक वाहन का मालिक फाइनेंसर ही रहेगा। किस्तों में डिफॉल्ट होने पर यह फाइनेंसर वाहन का कब्जा ले भी सकता है। इसमें कोई अपराध नहीं है। जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने यह व्यवस्था देते हुए फाइनेंसर की अपील स्वीकार कर ली और उस पर राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग द्वारा लगाया गया जुर्माना रद्द कर दिया।