राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने निर्देश दिए हैं कि सरकारी कार्मिकों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में अभियोजन स्वीकृति देने को लेकर निर्धारित समयावधि में निर्णय करने की पुख्ता व्यवस्था कायम की जाए।
श्री गहलोत आज यहां मुख्यमंत्री निवास पर वीडियो कांफ्रेंस के जरिए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो एसीबी के कामकाज की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अभियोजन स्वीकृति में देरी से भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के मनोबल पर नकारात्मक असर पड़ता है और भ्रष्टाचार को प्रोत्साहन मिलता है। उन्होंने निर्देश दिए कि विभागीय स्तर पर अभियोजन स्वीकृति में देरी होने पर मुख्य सतर्कता आयुक्त के पास प्रकरण भेजने की व्यवस्था को स्थानीय निकायों के कार्मिकों के लिए भी लागू किया जाए।
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ब्यूरो को भ्रष्टाचार के मामलों में सख्त कार्रवाई करने के निर्देश देते हुए श्री गहलोत ने कहा कि सरकार के संवेदनशील, पारदर्शी एवं जवाबदेह सुशासन देने के संकल्प में एसीबी की बड़ी भूमिका है। ब्यूरो अपनी इंटेलीजेंस विंग को और अधिक चैकस बनाकर अधिक मजबूती के साथ काम करे। श्री गहलोत ने निर्देश दिए कि सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए मुख्य सतर्कता अधिकारी लगाने की व्यवस्था को पुख्ता बनाया जाए।
उन्होंने निर्देश दिए कि अखिल भारतीय सेवा, राज्य सेवा सहित राजपत्रित अधिकारियों द्वारा प्रतिवर्ष की जाने वाली ऑनलाइन सम्पत्ति की घोषणा को सभी सरकारी कार्मिकों के लिए भी अनिवार्य किया जाए। इससे सरकारी कामकाज में पारदर्शिता आएगी तथा आय से अधिक सम्पत्ति के मामलों को उजागर करने में एसीबी को मदद भी मिलेगी।
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श्री गहलोत ने भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत के लिए एसीबी की हैल्पलाइन 1064 के अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार पर जोर दिया। उन्होंने निर्देश कि सभी सरकारी कार्यालयों में इस हैल्पलाइन की जानकारी देने वाले पोस्टर चस्पा किए जाएं। बैठक में बताया गया कि करीब तीन माह में ही इस हैल्पलाइन पर आय से अधिक सम्पत्ति, पद के दुरूपयोग तथा रिश्वत मांगने की 1107 शिकायतें प्राप्त हुई हैं। इसके आधार पर ब्यूरो को ट्रेप की 25 कार्रवाई करने में भी सफलता मिली है।
उन्होंने शिकायतकर्ता का नाम गुप्त रखने के निर्देश देते हुए कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को उचित संरक्षण दिया जाए ताकि भविष्य में उन्हें किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े।