प्रयागराज। 17 साल से फरार चल रहे शिवसागर सिंह हत्याकांड के आरोपित गिरीश मिश्र उर्फ अश्वनी कुमार (Girish Mishra) को STF ने मध्य प्रदेश से गिरफ्तार कर लिया। कौशाम्बी निवासी गिरीश मिश्र पर एक लाख रुपये का इनाम घोषित था।
हत्यारोपी गिरीश (Girish Mishra) मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में नाम और भेष बदल कर जिंदगी गुजार रहा था। एसटीएफ को गिरीश के बारे में जानकारी मिली तो कई दिनों तक रेकी की। उसके हुलिया को लेकर शिनाख्त की। इसके बाद घेराबंदी कर शुक्रवार को सुबह 9:15 बजे सिहोर रेलवे स्टेशन के पास से गिरफ्तार कर लिया।
गिरीश वर्ष 2005 में इलाहाबाद डिस्ट्रिक्ट कोआपरेटिव बैंक के चेयरमैन व पूर्व ब्लॉक प्रमुख शिवसागर सिंह की हत्या कर फरार हो गया था। तब शिवसागर सिंह सत्ताधारी समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेताओं में शुमार थे। हत्याकांड के बाद मुंबई, दिल्ली समेत अन्य शहरों में फरारी काटने के बाद गिरीश मिश्र नए नाम से मध्य प्रदेश में बस गया था। एसटीएफ के पुलिस उपाधीक्षक नवेन्दु कुमार टीम के साथ गिरीश मिश्र की तलाश में कई शहरों की खाक छान चुके थे। इलेक्ट्रॉनिक संसाधनों के माध्यमों से निगरानी में उन्होंने एक कॉल पकड़ी तो गिरीश के बारे में सुराग मिला।
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27 फरवरी 2005 को शिवसागर सिंह (सत्ताधारी समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता) अपने सरकारी और प्राइवेट गनर के साथ कूरामुरीदन के पूर्व प्रधान नुरूल इस्लाम की बेटी की शादी में शामिल होकर लौट रहे थे। कौशाम्बी के सिराथू रेलवे क्रॉसिंग पर शिवसागर सिंह की गाड़ी खड़ी थी। तभी गिरीश मिश्र और अन्य ने असलहों, बमों से हमला बोल दिया था। दिनदहाड़े हत्या से सनसनी फैल गई थी। सिराथू रेलवे स्टेशन के पास जमकर बवाल हुआ था। तत्कालीन सीओ लक्ष्मीनिवास मिश्रा पर सपा नेता के बेटों ने गंभीर आरोप लगाए थे। इसके बाद उनका तबादला हुआ था। इस हमले में सपा नेता के तीन निजी गनर भी घायल हुए थे।
1994 से खूनी रंजिश
पकड़े गए गिरीश मिश्र से एसटीएफ ने पूछताछ की तो कई सनसनीखेज जानकारी सामने आई। सीओ एसटीएफ नवेन्दु कुमार के मुताबिक, 1994 में गिरीश के पिता सियालाल मिश्र की हत्या उसके सामने की गई थी। 1999 में उसने अपने पिता के कातिलों की हत्या कर कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया था। जमानत मिलने के बाद उसे पता चला कि उसके भाई प्रभास मिश्र और चचेरे भाई अखिलेश मिश्र को विपक्षियों ने सड़क हादसे में मरवा दिया तो 2005 में गिरीश ने शिवसागर सिंह की हत्या को अंजाम दिया।
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सपा नेता शिवसागर सिंह और गिरीश मिश्रा के पिता सियालाल मिश्रा उर्फ वैद्यजी अच्छे दोस्त थे। सियालाल मिश्र प्रधानाध्यापक थे। वर्ष 1990 में दोनों ने मिलकर गुरु का पुरवा में एक स्कूल खोला था। आय के बंटवारे को लेकर शिवसागर सिंह के छोटे भाई रामसागर सिंह की वर्ष 1994 में ट्यूबवेल पर कहासुनी हुई। सियालाल ने विरोध किया तो रामसागर सिंह ने उन पर रायफल से चार गोलियां दाग दी थीं। आंखों के सामने पिता की हत्या का बदला लेने की गिरीश ने कसम खाई थी। गिरीश फरारी के दौरान बिहार के गया में रामलला मठ में रहने लगा था। यहां एक घर बनाने के अलावा दुकान भी खोल रखी थी।