कैबिनेट मंत्री और सपा सांसद मो. आजम खां और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को फर्जी जन्म तिथि पर पासपोर्ट और पैन कार्ड बनवाने के मामले में हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोनों की ओर से दाखिल तीन जमानत अर्जियों को सुनवाई के बाद खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि याचीगण प्रभावशाली व्यक्ति हैं। प्रदेश के तमाम विभागों के मंत्री रह चुके हैं। ऐसे में उनके द्वारा साक्ष्यों को प्रभावित करने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है।
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जमानत अर्जियों पर न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने सुनवाई के बाद 19 नवंबर को अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया था। जिसे बृहस्पतिवार को सुनाया गया।
आजम खां के खिलाफ एक और अब्दुल्ला आजम के खिलाफ दो मुकदमे रामपुर के सिविल लाइंस थाने में दर्ज कराए हैं। आरोप है कि आजम खां और अब्दुल्ला ने साठगांठ करके षडयंत्र पूर्वक अब्दुल्ला आजम का नगर महापालिका से फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनवाया और उसके आधार पर पैन कार्ड और पास पोर्ट बनवाए गए।
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अब्दुल्ला आजम के एक पैन कार्ड में उनकी जन्म तिथि एक जनवरी 1993 अंकित है। यह पैन नंबर उनके बैंक खाते से लिंक है। जबकि स्वार विधानसभा चुनाव में नामांकन के समय उन्होंने जो पैन कार्ड दाखिल किया था उसमें जन्म तिथि 30 सितंबर 1990 अंकित है। यह नंबर बैंक खाते से लिंक नहीं है। इसी प्रकार से पासपोर्ट भी गलत जन्म तिथि पर बनवाने का आरोप है।
आजम खां की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल चतुर्वेदी और सफदर काजमी ने बहस की। कहा गया कि अभियुक्तों के खिलाफ धोखाधड़ी का कोई मामला नहीं बनता है। जिस प्रकार के आरोप हैं, वह दस्तावेजों पर आधारित है। जिसकी गहराई से समीक्षा किए जाने की आवश्यकता है। जबकि प्रदेश सरकार की ओर से जमानत अर्जी का विरोध किया गया।
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कोर्ट ने मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को जमानत का आधार नहीं पाते हुए अर्जी खारिज कर दी है। ट्रायल कोर्ट कोर्ट को मुकदमे का विचारण शीघ्रता से करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने याचीगण को छूट दी है कि वह चाहें तो गवाहों का साक्ष्य हो जाने के बाद विचारण न्यायालय में जमानत की अर्जी पेश कर सकते हैं।