जयपुर। राजस्थान की सियासी लड़ाई अदालत के भीतर और बाहर दोनों जगह चल रही है। आज इस लड़ाई का बेहद अहम दिन है। सुप्रीम कोर्ट में आज राज्य विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी की अर्जी पर सुनवाई होगी। राजस्थान हाई कोर्ट से यथास्थिति बरकरार रखने के आदेश के बाद अब सभी की नजरें शीर्ष अदालत की सुनवाई पर टिकी है। गौरतलब है कि सीपी जोशी ने राजस्थान हाईकोर्ट के 21 जुलाई के आदेश को चुनौती दी है। कोर्ट ने स्पीकर को 24 जुलाई तक बागी विधायकों के खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगाने का आदेश दिया था। इससे पहले इस मामले में सुप्रीमकोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई थी। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
मामले में स्पीकर द्वारा नोटिस भेजे जाने पर टिप्पणी करते हुए अदालत ने कहा कि यह कोई सामान्य मामला नहीं है। ये विधायक भी चुने हुए प्रतिनिधि हैं। असहमति का स्वर लोकतंत्र में इस तरह नहीं दबाया जा सकता। अदालत देखेगी कि इस प्रक्रिया (अयोग्य ठहराने) की इजाजत है कि नहीं। सुनवाई के दौरान स्पीकर की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल ने संविधान पीठ के किहोतो होलां फैसले का हवाला देते हुए कहा कि दसवीं अनुसूची के तहत की गई स्पीकर की कार्यवाही में हाई कोर्ट को दखल देने का अधिकार नहीं है।
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राजस्थान राजभवन ने विधानसभा सत्र बुलाने से संबंधित फाइल राज्य के संसदीय कार्य विभाग को वापस कर दी है। राजभवन ने राज्य सरकार से कुछ अतिरिक्त विवरण भी मांगी है। विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। गौरतलब है कि गहलोत मंत्रिमंडल ने शनिवार को 31 जुलाई से विधानसभा का सत्र आहूत करने का नया प्रस्ताव राजभवन भेजा था। प्रस्ताव में राज्यपाल से आग्रह किया गया है कि सात दिन के नोटिस के साथ विधानसभा सत्र बुलाया जाए। कोरोना महामारी पर विशेष चर्चा और छह विधेयक पारित कराने को सत्र बुलाने का कारण बताया गया है। इसमें बहुमत साबित करने का जिक्र नहीं है।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के छह सदस्यीय विधायक दल के कांग्रेस में विलय को लेकर राजस्थान हाई कोर्ट में सोमवार को सुनवाई होगी। अब पता चला है कि विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी इस संबंध में दायर याचिका खारिज कर चुके हैं, लेकिन अभी तक किसी को जानकारी नहीं दी गई थी। बताया जा रहा है कि दस्तावेजों की कमी को आधार बनाकर उन्होंने इस माह के शुरुआत में यह याचिका खारिज की थी।
सितंबर, 2019 में बसपा के छह विधायक लाखन सिंह, जोगेंद्र अवाना, वाजिब अली, दीपचंद खेरिया, राजेंद्र गुढ़ा और संदीप कुमार कांग्रेस में शामिल हो गए थे। भाजपा विधायक मदन दिलावर ने अपने वकील आशीष शर्मा के माध्यम से विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष मार्च, 2020 में बसपा विधायकों के विलय के खिलाफ याचिका दायर की थी। दिलावर ने इस संबंध में दायर याचिका पर कार्रवाई नहीं होने को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। जिस पर सोमवार को हाई कोर्ट के जस्टिस महेन्द्र गोयल सुनवाई करेंगे।
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बसपा ने अपने विधायकों को व्हिप जारी करके कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। पार्टी ने अपने सभी छह विधायकों को व्हिप जारी करके कांग्रेस के विरोध में वोट देने को कहा है। इसकी एक प्रति राज्यपाल को भी सौंप दी है।समाचार एजेंसी एएनआइ के अनुसार बसपा सुप्रीमो मायावती ने राज्य की मौजूदा स्थिति के बारे में एक प्रेस नोट जारी किया। उन्होंने कहा कि राज्य की मौजूदा स्थिति को देखते हुए राजस्थान में राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए।
वहीं कांग्रेस आज सभी राज्यों में राजभवन के बाहर भाजपा के खिलाफ प्रदर्शन करने वाली है। हालांकि, राजस्थान में पार्टी राजभवन के सामने विरोध प्रदर्शन नहीं करेगी। राज्य कांग्रेस प्रमुख गोविंद सिंह डोटासरा ने रविवार को एक ट्वीट में कहा, ‘कल, कांग्रेस कार्यकर्ता राजभवन के सामने ‘लोकतंत्र बचाओ-संविधान बचाओ’ आंदोलन के तहत विरोध प्रदर्शन करेंगे। लेकिन राजस्थान में हम ऐसा कुछ नहीं करने वाले हैं।’