सीबीआई की एक विशेष अदालत ने साल 2004 में हुए चर्चित इशरत जहां हत्याकांड को लेकर आरोपी पुलिस द्वारा दायर की गई याचिका को ख़ारिज कर दिया है। अदालत ने आईपीएस अधिकारी जिएल सिंघल समेत अन्य सभी आरोपियों की डिस्चार्ज याचिका ख़ारिज कर दी है।
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साथ ही विशेष सीबीआई जज वीआर रावल ने सीबीआई को चारों अधिकारियों के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 197 के तहत जांच करने के लिए गुजरात सरकार से मंजूरी लेने का आदेश दिया है। याचिका दाखिल करने वाले अधिकारियों में सिंघल के अलावा डिप्टी एसपी जेजी परमार, डिप्टी एसपी तरुण बरोट, और सब इंस्पेक्टर अनानु चौधरी शामिल थे। परमार का निधन पिछले महीने 21 सितंबर को हो गया था। इसके बाद उनका नाम इस केस से हटा दिया गया।
अदालत ने अपने आदेश में सीबीआई की भी खिंचाई करते हुए कहा कि जब आरोपी पुलिस अधिकारियों ने (एनकाउंटर करते समय) अपने अधिकारिक कर्तव्य का पालन करने की बात मानी है तो भी सीबीआई ने धारा 197 लगाने की प्रक्रिया शुरू नहीं की। अदालत ने कहा, आरोपी गंभीर मामले में शामिल थे, क्योंकि आरोपी पुलिस अधिकारियों ने एनकाउंटर किया है। इसके अलावा यह भी साफ हो गया कि आरोपियों ने अपने आधिकारिक कर्तव्यों का पालन करते हुए यह किया, इसलिए सीबीआई को मंजूरी मिलनी चाहिए। सीबीआई को अभियोजन के लिए यह धारा लगाना चाहिए या फिर इस बारे में स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
बता दें कि गुजरात पुलिस ने अहमदाबाद में 15 जून, 2004 को मुंबई के करीब मुंब्रा निवासी 19 वर्षीय इशरत जहां को उसके साथियों जावेद शेख उर्फ प्राणेश पिल्लई, अमजद अली, अकबर अली राणा और जीशान जौहर समेत अहमदाबाद के बाहरी हिस्से में एक एनकाउंटर में मार गिराया था। गुजरात पुलिस ने दावा किया था कि ये चारों लश्कर-ए-ताइबा के आतंकी थे और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करना आए थे।
इस मामले को SIT की टीम ने अपनी जांच में फर्जी पाया था और इसे फर्जी करार दिया था।