आजकल हर तीसरा व्यक्ति गर्दन के दर्द से परेशान है। आधुनिक जीवनशैली में घरेलू उपकरणों ने कामकाज के तरीके को आसान जरूर बनाया है, लेकिन इससे अब लोगों में शारीरिक श्रम की आदत छूटती जा रही है। नई पीढ़ी ऑफिस में 8 से 10 घंटे तक बैठकर काम करती है।
घर पर भी लोग अपना ज्यादातर समय कंप्यूटर या टीवी के साथ बिताते हैं। इस दौरान उनके बैठने के गलत पोस्चर और एक्सरसाइज की कमी की वजह से लोगों को सर्वाइकल स्पॉण्डलाइटिस (Spondylitis) की समस्या का सामना करना पड़ता है। यह समस्या लोगों में अलग-अलग लक्षणों के साथ देखने को मिलती है। आइए जानते हैं ऐसी समस्याओं और उनके उपचार के बारे में।
40 साल की उम्र के बाद लोगों में यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों से कैल्शियम का क्षरण होने लगता है। शरीर की स्वभाविक प्रक्रिया के तहत क्षतिग्रस्त हड्डियों की मरम्मत के लिए उनके ऊपर नई परत का निर्माण होता है।
बाहर को निकली हुई नई हड्डियों की यह परत कई बार नसों पर दबाव डालती है, जिससे दर्द बढ़ जाता है। कुछ गंभीर परिस्थितयों में ब्रेन तक सही ढंग से ब्लड की सप्लाई नहीं हो पाती। इसी वजह से स्पॉण्लाइटिस (Spondylitis) के मरीजों को कभी-कभी चक्कर भी आता है। आनुवंशिकता की वजह से भी लोगों में यह समस्या देखने को मिलती है।
बचाव एवं उपचार
नियमित एक्सरसाइज, स्विमिंग और ब्रिस्क वॉक से गर्दन और कंधों की मांसपेशियां मजबूत होती है। इससे कमजोर पड़ रहे जोड़ों को भी सपोर्ट मिलता है।
आमतौर पर लोग दाहिने हाथ से काम करते हैं। इसलिए लगभग 75 प्रतिशत लोगों के गर्दन के दाहिने हिस्से में जकड़न और दर्द की समस्या होती है। लगातार कंप्यूटर पर काम करने वाले लोगों को अक्सर यह समस्या झेलनी पड़ती है। सर्दी के मौसम में यह दर्द बढ़ जाता है। नींद में गर्दन की लिगामेंट में खिंचाव आने से भी यह समस्या हो जाती है।