Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

श्री राम मां चंडी के चरणों में अर्पित करने वाले थे अपना नेत्र

ram and durga ji

ram and durga ji

धर्म डेस्क। दुर्गा मां की यह कथा रामायण से जुड़ी हुई है। जब लंकापति रावण माता सीता का हरण कर लंका ले गया था। तब ब्रह्मा जी ने रावण का वध करने और लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए श्री राम को मां दुर्गा के स्वरूप मां चंडी की पूजा करने का सुझाव दिया था। इस पूजा के लिए श्री राम को मां को 108 नीलकमल के पुष्प अर्पित करने थे। ब्रह्मा जी का सुझाव मानकर श्री राम ने मां चंडी का आह्वान शुरू किया और 108 नीलकमल के फूल मंगवा लिए। जब यह बात रावण को पता चली तो उसने इस पूजा में खलल डालने की कोशिश और अपनी माया से एक नीलकमल गायब कर दिया।

मां चंडी की पूजा करते समय जब श्री राम को एक नीलकमल का पुष्प गायब होने की बात का पता चला तो श्रीराम को लगा कि उनकी पूजा सफल नहीं होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि नीलकमल का फूल बेहद दुर्लभ है और आसानी से पाया नहीं जाता है। लेकिन बाद में उन्हें याद आया कि उनके भक्त उन्हें नीलकमल से संबोधित कते हैं। ऐसे में श्री राम ने मां चंडी को नीलकमल की जगह अपना नेत्र अर्पित करने का ​फैसला किया।

श्री राम ने एक-एक कर 107 नीलकमल के पुष्प मां चंडी को अर्पित कर दिए। आखिरी फूल अर्पित करने के लिए उन्होंने अपने तरकश से तीर निकाला और अपनी आंख निकालकर मां के चरणों में चढ़ाने का फैसला लिया। श्री राम तीर से अपना नेत्र निकालने की जा रहे थे कि तभी मां जगदम्बा उनके समक्ष प्रकट हुईं।

मां ने कहा कि वो उनकी पूजा से बेहद प्रसन्न हैं। ऐसे में श्री राम को उनका नेत्र अर्पित करने की आवश्यकता नहीं है। इसके बाद मां जगदम्बा ने श्रीराम को लंका विजय का आशीर्वाद प्रदान किया। फिर श्री राम ने लंका पर विजय प्राप्त कर रावण का वध किया और माता सीता को बंधनमुक्त कराया।

Exit mobile version