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मां शीतला को लगाया जाता है बासी खाने का भोग, जानें वजह

Sheetala Mata

Sheetala Ashtami

हिंदू पंचांग के अनुसार, होली के 8 दिन बाद  व्रत रखा जाता है. हिंदू धर्म में शीतला सप्तमी (Sheetala Ashtami)  और अष्टमी तिथि का विशेष महत्व है जो हर साल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी और अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. यह त्योहार एक और दो अप्रैल को मनाया जाएगा. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन दोवी दुर्गा और पार्वती मां की अवतार देवी शीतला की पूजा की जाती है और उन्हें बासी खाने का भोग लगाया जाता है. इसलिए इसे बासोड़ा पर्व के नाम से बी जाना जाता है. शीतला सप्तमी और अष्टमी (Sheetala Ashtami) पर शीतला माता की आराधना करने से रोगों से छुटकारा मिलता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शीतला सप्तमी या अष्टमी के दिन माता को बासी खाने का भोग क्यों लगाया जाता है? आइए जानते हैं.

शीतला माता (Maa Sheetala) को क्यों लगाते हैं बासी खाने का भोग?

ऐसी मान्यता है कि शीतला अष्टमी (Sheetala Ashtami)  सर्दियों के मौसम खत्म होने का संकेत होता है. इसे सर्दी क मौसम का आखिरी दिन माना जाता है. ऐसे में शीतला माता को इस दिन बासी खाने का भोग लगाने की परंपरा है. हालांकि भोग लगाने के बाद उस बासी खाना खाना सही नहीं माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि शीतला माता को बासी खाने का भोग लगाने से वे प्रसन्न होती हैं और व्यक्ति को निरोगी सेहत का आशीर्वाद देती हैं. गर्मी के मौसम में अधिकतर लोग बुखार, फुंसी, फोड़े, नेत्र रोग के शिकार हो जाते हैं, ऐसे में शीतला सप्तमी की पूजा करने से इन बीमारियों से बचाव होता है.

इसलिए शीतला अष्टमी (Sheetala Ashtami)  पर लगाया जाता है बासी भोग

शीतला माता (Maa Sheetala) का ही व्रत ऐसा है जिसमें शीतल यानी बासी खाना खाया जाता है. इस व्रत पर एक दिन पहले बना हुआ खाना खाने करने की परंपरा है, इसलिए इस व्रत को बसौड़ा या बसियौरा भी कहते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवलोक से देवी शीतला दाल लेकर भगवान शिव के पसीने से बने ज्वरासुर के साथ धरती पर राजा विराट के राज्य में रहने आई थीं लेकिन राजा विराट ने देवी शीतला को राज्य में रहने से मना कर दिया.

देवी (Maa Sheetala) के गुस्से से जलने लगी त्वचा

राजा के इस व्यवहार से देवी शीतला क्रोधित हुईं और शीतला माता (Maa Sheetala) के क्रोध से राजा की प्रजा के लोगों की त्वचा पर लाल दाने होने लगे. लोगों की त्वचा गर्मी से जलने लगी. इसके व्याकुल राजा विराट ने माता से माफी मांगी और राजा ने देवी शीतला को कच्चा दूध और ठंडी लस्सी का भोग लगाया, इसके बाद शीतला का क्रोध शांत हुआ.

तब से माता को ठंडे पकवानों का भोग या बासी भोग लगाने की परंपरा चली आ रही है. शीतला माता की पूजा करने और इस व्रत में ठंडा भोजन करने से संक्रमण या अन्य बीमारियों से बचाव होता है. इसके अलावा ये व्रत गर्मी में होता है इसलिए भी इस दिन ठंडा भोजन करने की परंपरा है.

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