नई दिल्ली। देश के नाम एक और उपलब्धि हासिल हुई है। समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक रामसार प्रस्ताव संधि के तहत अंतरराष्ट्रीय महत्व के स्थलों की सूची में देश की एक और आर्द्रभूमि को शामिल की गई है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ट्वीट कर बताया कि ये झीले लद्दाख के चांगथांग क्षेत्र में मौजूद हैं। इनको अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि की सूची में शामिल किया गया है।
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यही नहीं इससे पहले बिहार के बेगूसराय जिले में स्थित कबरताल झील को रामसार प्रस्ताव के तहत अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि की सूची में जगह दी गई थी। यही नहीं इसी साल अक्टूबर महीने में उत्तराखंड के देहरादून स्थित ‘असन कंजर्वेशन रिजर्व’ को सूची में शामिल किया गया था। भारत के अन्य स्थल जिन्हें इस सूची में जगह मिली है उनमें ओडिशा की चिल्का झील, राजस्थान का केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, पंजाब की हरिके झील, मणिपुर की लोकटक झील और जम्मू कश्मीर की वुलर झील शामिल है। मालूम हो कि आर्द्रभूमि के संरक्षण के लिए साल 1971 में ईरान के रामसार में समझौते हुए थे।
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गौर करने वाली बात यह है कि ‘स्तार्तासापुक सो’ झील का पानी मीठा है और ‘सो कर’ का पानी खारा है जबकि ये दोनों झीलें आपस में जुड़ी हुई हैं। इसके साथ ही भारत में रामसार स्थलों की संख्या 42 हो गई है। पिछले महीने महाराष्ट्र की लोनार झील और आगरा की सुर सरोवर झील को इस सूची में जगह दी गई थी। इसके साथ ही अब देश में इस प्रकार की आर्द्रभूमि की संख्या 42 हो गई है। दक्षिण एशिया में भारत में आर्द्रभूमि की संख्या सर्वाधिक है। लद्दाख में मौजूद आपस में जुड़ी हुई दो झीलों ‘स्तार्तासापुक सो’ और ‘सो कर’ को आर्द्रभूमि की सूचि में शामिल किया गया है।