Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

चीन में 1962 जैसे भुखमरी के हालात, चीनियों का ध्यान भटकाने के लिए बढ़ा रहा है सीमा विवाद

नई दिल्ली। लद्दाख में भारत से उलझा चीन इस समय भुखमरी के हालात हैं। इसके बीच विस्तारवादी सोच और कोरोना महामारी की वजह से पूरी दुनिया में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग घिर चुके हैं। हालांकि शी जिनपिंग भुखमरी के हालात से निपटने के लिए कुछ दिनों पहले ‘ऑपरेशन क्लीन प्लेट’ की शुरुआत की थी।

इसके तहत, चीन ने अपने लोगों के खाने की आदत में बदलाव भी किए और उनसे खाने की बर्बादी न करने को कहा था। लेकिन इसके बावजूद कोई खास लाभ नहीं मिला है। बता दें कि चीन को जिन तीन देशों से फूड सप्लाई मिलती है, उनसे उसके रिश्ते काफी खराब हो चुके हैं। इन देशों में अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं।

अब इसी कमी को छिपाने के लिए चीन भारत से उलझ कर उग्र राष्ट्रवाद का सहारा लेने की कोशिश कर रहा है। इतना ही नहीं, साउथ चाइना सी में अप्रैल से लेकर अगस्त तक चीन ने कम से कम 5 बार लाइव फायर ड्रिल भी की है। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की पूरी कोशिश है कि जनता का ध्यान गरीबी और भुखमरी से हटकर देशभक्ति और राष्ट्रवाद पर केंद्रित हो जाए।

ड्रैगन की टेक्नोलॉजी को चकमा दे, भारतीय जवानों ने ऊंची चोटी पर फहराया तिरंगा

यह पहली बार नहीं है कि भुखमरी से ध्यान हटाने के लिए चीन भारत के साथ सीमा विवाद को बढ़ा रहा हो। 1962 में भी जब चीन में भयानक अकाल पड़ा था तब भी चीन के सर्वोच्च नेता माओत्से तुंग ने भारत के साथ गैर बराबरी की जंग छेड़ दी थी। उस समय चीन में हजारों लोगों की भूख से मौत हो गई थी। इसे लेकर तत्कालीन चीनी शासन के खिलाफ ग्रेट लीप फॉरवर्ड मूवमेंट भी चला था। ठीक वैसा ही इस समय चीन के वुल्फ वॉरियर कहे जाने वाले राजनयिक और चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी कर रही है।

गोरखपुर में कोरोना के 297 नये मरीज मिले, मरीजों की संख्या 9407 हुई

कोरोना वायरस के कारण चीन में खाद्यान संकट गहराता जा रहा है। ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने खाद्य सुरक्षा को बढ़ाने के लिए 2013 के क्लीन योर प्लेट अभियान को फिर से लॉन्च किया है। पश्चिमी मीडिया का भी मानना है कि चीनी प्रशासन इस योजना की आड़ में देश में पैदा हुए खाद्य संकट को छिपा रहा है।

चीन इस समय दशक के सबसे बड़े टिड्डियों के हमले से जूझ रहा है। जिससे देश के दक्षिणी भाग में खड़ी फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है। इन्हें काबू में करने के लिए चीनी सेना तक अभियान चला रही है। दूसरी बात यह है कि भीषण बाढ़ के कारण चीन में हजारों एकड़ की फसल बर्बाद हो गई है। चीन के जिस इलाके में सबसे ज्यादा फसल उगती है, बाढ़ का असर भी उन्हीं इलाकों पर ज्यादा पड़ा है।

चीन के सामान्य प्रशासन विभाग के आकंड़ों के अनुसार, पिछले साल की तुलना में इस साल जनवरी से जुलाई के बीच चीन का अनाज आयात 22.7 फीसदी (74.51 मिलियन टन) बढ़ा है। चीन में साल दर साल गेहूं के आयात में 197 फीसदी की बढ़ोत्तरी देखी गई है। जुलाई में मक्के का आयात भी पिछले साल की अपेक्षा 23 फीसदी बढ़ा है। अब सवाल यह उठता है कि अगर चीन में पर्याप्त मात्रा में अनाज हैं तो उसे अपना आयात क्यों बढ़ाना पड़ रहा है?

चीनी कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, चीन में 2019 में कुल अनाज की पैदावर 664 मिलियन टन हुई है। इसमें 210 मिलियन टन चावल और 134 मिलियन टन गेहूं शामिल है। हालांकि चीन से सरकारी मीडिया दावा कर रही है कि देश में चावल की खपत 143 मिलियन टन और गेहूं की खपत 125 मिलियन टन है। इसलिए हम खाद्य संकट से नहीं जूझ रहे हैं। सरकारी मीडिया ने तो यहां तक ऐलान कर दिया है कि इस साल तो धान की और ज़्यादा फसल हुई है, जबकि देश का धान उत्पादन क्षेत्र बाढ़ के प्रकोप से जूझ रहा है।

Exit mobile version