नई दिल्ली| सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि वह उन सभी बच्चों की शिक्षा के लिए हर माह 2-2 हजार रुपये मुहैया कराए जो पहले बाल देखभाल संस्थाओं (सीसीई- चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूशन) में रह रहे थे लेकिन बाद कोविड-19 महामारी के चलते उन्हें वापस घर भेज दिया गया है।
शीर्ष अदालत ने राज्य सरकारों से कहा कि वह बच्चों को किताबें, स्टेशनरी का सामान जैसी जरूरी चीजें मुहैया कराएं। राज्य सरकारें जिला बाल संरक्षण इकाइयों की सिफारिश के आधार पर 30 दिनों के भीतर सीसीआई के लिए बच्चों की ऑनलाइन कक्षाओं का प्रबंध करे।
जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता में पीठ ने कहा कि राज्य यह सुनिश्चित करें कि सीसीआई में बच्चों को पढ़ाने के लिए आवश्यक संख्या में शिक्षक मौजूद हों।
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कोर्ट को यह बताया गया था कि कोविड-19 महामारी की शुरुआत में सीसीआई में 2,27,518 बच्चे थे, इनमें से 1,45,788 को वापस अपने परिवारों के पास भेज दिया गया था।
कोर्ट ने बाल संरक्षण इकाइयों को भी निर्देश दिया कि वह जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण को सीसीआई में बच्चों को मिल रही सुविधाओं की स्थिति और उसमें प्रगति की रिपोर्ट दे।
पीठ ने कहा कि राज्य सरकारें दो हजार रूपए प्रति माह प्रत्येक बच्चे की शिक्षा के लिये देंगी और यह धनराशि बच्चे के परिवार की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए जिला बाल संरक्षण इकाई की सिफारिश पर दी जायेगी। परिवारों को सौंपे गये बच्चों को शिक्षा प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर देते हुये पीठ ने जिला बाल संरक्षण इकाईयों को निर्देश दिया कि वे इस मामले में समन्वय करें और इसमें प्रगति की निगरानी करें।
शीर्ष अदालत ने कहा कि शिक्षकों को इन बच्चों को पढ़ाने की अनुमति दी जानी चाहिए क्योंकि महामारी की वजह से मार्च से ही सामान्य जीवन प्रभावित हुआ है और बच्चों को कक्षा में आने का मौका नहीं मिला है।