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थमे इंजन, हांफती बोगियां, सुपर फास्ट ट्रेन की सवारी  की जुगाड़ में शैतान मुसाफिर!

देहरादून। प्रदेश में अब तक कुल 16 विधानसभाओं में बड़ी संख्या  में इस तरह के कार्यक्रम हो चुके हैं, सैकड़ों या हजारों की संख्या में इन कार्यक्रमों में भाजपाइयों ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की है।

खबर है कि अगली 14 नवंबर, रविवार को देहरादून जिले की दो विधानसभाओं के एक संयुक्त कार्यक्रम में लगभग 4 हजार से अधिक लोग कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने जा रहे हैं। इनमें भाजपा, आप के कई प्रदेश और जिला स्तर के नेता, यू.के.डी. के बड़े लोगों समेत सेना के कई अवकाशप्राप्त अधिकारी भी शामिल हैं। इस कार्यक्रम की तैयारी में जुटे राजकुमार जायसवाल, महेंद्र सिंह नेगी एवं शीशपाल सिंह विष्ट

यशपाल आर्य की पुन: कांग्रेस ज्वॉइनिंग पर मुख्यमंत्री के बयान पर पलटवार करते हुए कह रहे हैं कि अपनी जमीन खो चुके जिन नेताओं और विधायकों को पद—पैसे का लालच देकर भाजपा ज्वॉइन कराई जा रही है, वह किस देश हित, संगठन हित की श्रेणी  में आता है?

बताते चलें कि उत्तराखंड के बड़े दलित नेता एवं पुष्कर कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्री यशपाल आर्य एवं नैनीताल से उनके विधायक पुत्र संजीव आर्य द्वारा भाजपा से इस्तीफे एवं पुन: कांग्रेस में जाने पर धामी ने कहा था कि भाजपा में पहले देश हित फिर संगठन हित,  फिर निजी हित आता है। धामी का आरोप था कि पिता—पुत्र निजी हित की वजह से भाजपा छोड़कर गए हैं।

तीनों नेता कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री बनने से  पहले  तीन अगस्त तक पुष्कर सिंह धामी अपने चहेते नौकरशाहों के चैंबर्स में बैठकर और अपने गिने—चुने सहयोगियों के बीच बैठकर संघ और भाजपा को जिस प्रकार कोसा करते थे, संघ और व भाजपा के नेताओं पर किस-किस तरह के गंभीर आरोप लगाते थे, मंत्री न बनाए जाने से खिन्न और अवसादग्रस्त पुष्कर अन्य दलों के लोगों से बातचीत कर जिस प्रकार अपना राजनीतिक भविष्य बचाने के लिए आकुल—व्याकुल थे, वह किस देश हित और संगठन हित की श्रेणी  में आता है? खंडूड़ी, निशंक , त्रिवेंद्र एवं तीरथ की सरकारों को अस्थिर करने में बेहद सक्रिय रहे पुष्कर तब कौन सा देशहित और संगठन हित साध रहे थे। इन सबके पीछे उनका कौन सा निजी हित नहीं था?

— दल बदलुओं की बर्थडे पार्टियां याद रहीं, आद्य पुरुष के परिजनों का सुख— दु:ख भूले!

— सरकारी पत्रावलियों की टीपों को खुद की उपलब्धियां बताने—छपाने की होड़ में धामी अव्वल

—देश—हित, संगठन—हित व निजी—हित की परिभाषा पूछी संघ के प्रचारक रहे गुरु जी तथा शीशपाल ने

तीनों नेता कह रहे हैं कि 2017 में चौबट्टाखाल से टिकट कटने के बाद तीरथ सिंह रावत ने सतपाल महराज और संघ के एक बड़े नेता को किस प्रकार अपने घर में अपमानित किया था और संघ व भाजपा के लिए किस तरह की शब्दावली का प्रयोग किया था, संघ व भाजपा पर किस तरह के आरोप मढ़े थे, वह किस देश हित, संगठन हित की श्रेणी में आता है?

तीनों नेता यह भी कह रहे हैं कि अपने को गरीब बताने वाले त्रिवेंद्र सिंह रावत किस देश हित, संगठन हित के कारण अकूत संपदा के स्वामी बन गए? अन्य दलों के नेता किस देश हित, संगठन हित के तहत आयातित किए जा रहे हैं?  तीनों कह रहे हैं कि जिनके घर खुद कमजोर कांच के बने हों, वे दूसरों के मजबूत किलों पर खनन से इकट्ठी रेत—बजरी न फेंकें।

तीनों नेताओं ने सवाल किया है कि पार्टी में मनचाहा पद मिलते ही भाजपा सबकी ‘मां’ कैसे हो गई?  ये सभी वो लाल हैं जो अपनी मां को वृद्धाश्रम भेजने को तैयार बैठे थे।

— मनचाही कुर्सी मिलते ही ‘मां’ क्यों बन जाती है भाजपा? बुरे दिनों में क्यों कोसते हो मां को?सवाल किया भाजयुमो नेता रहे जायसवाल ने

—कमजोर कांच के घर वाले दूसरों के मजबूत किलों पर खनन से इकट्ठी रेत—बजरी न फेंकें — कहा विद्रोहियों ने

—तीरथ ने  घर पर अपमान किया था  संघ नेता व सतपाल महराज का, संघ व भाजपा नेताओं पर लगाए थे धन उगाही व टिकट बेचने के गंभीर आरोप

—खुद को गरीब बताने वाले त्रिवेंद्र कैसे बन गए चार वर्ष में अकूत संपदा के स्वामी?

बताते चलें कि महेंद्र सिंह नेगी संघ के तृतीय वर्ष प्रशिक्षित स्वयंसेवक हैं। राम मंदिर आंदोलन में 100 कारसेवकों के सबसे पहले जत्थे में वह शामिल थे। जनांदोलनों और संघ के आंदोलनों में वह कई बार जेल तक गए हैं। संघ और विहिप के हर बड़े नेता के साथ उन्होंने संगठन में कार्य किया है। राजकुमार जायसवाल भाजपा युवा मोर्चा के अध्यक्ष रहे हैं। छात्रसंघ के महामंत्री रहे हैं। वणिक समाज के अलावा मसूरी व राजपुर विधानसभा क्षेत्र में उनकी जमीनी मजबूत पकड़ है। वह तमाम सामाजिक संगठनों और संस्थाओं से जुड़े हैं।शीशपाल विष्ट भी संघ के प्रचारक रहे हैं।

यू.के.डी. के प्रधान महासचिव को दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने खुद देहरादून आकर आम आदमी पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराई थी और उन्हें उत्तराखंड का प्रदेश कोआर्डिनेटर बनाया था। तीनों आज हरीश रावत के साथ हैं। भाजपा का नेतृत्व फिलहाल उन मुसाफिरों की आवभगत व जी—हुजूरी में अस्त,व्यस्त, मस्त और पस्त है, जो कोई भी सुपर फास्ट ट्रेन मिलते ही उनकी पैसेंजर ट्रेन छोड़कर भाग जाएंगे। उन मुसाफिरों से हलकान भाजपा उत्तराखंड में हांफते हुए पथभ्रमित ही नजर आ रही है। फिलवक्त भाजपा के पास ऐसा कोई पथ नहीं बचा है जिससे उसे इस समस्या का तोड़ मिल सके। .. क्रमश: 

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