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स्टोरीटेलिंग का है हुनर, तो फिल्ममेकिंग से बच्चे बढ़ा सकते हैं अपनी क्रिएटिविटी

story telling

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नई दिल्ली। आप बच्चे आसानी से शॉर्ट फिल्म बना सकते हैं और अपने खाली समय का सदुपयोग कर सकते हैं। स्मार्ट फोन में शूट और एडिट की सुविधा मिल जाएगी। लोकेशन घर की बालकनी या लॉन भी हो सकता है। क्रिएटिविटी आप बच्चों की होगी। स्क्रिप्ट पर काम कीजिए, कहानी कहिए और उसे शूट करने की योजना बनाइए। मदद के सभी टूल्स इंटरनेट पर मिलेंगे। फिल्ममेकिंग एक ऐसी कला है जो कोविड के इस कठिन समय में आपको घर में भी व्यस्त रख सकती है।

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हाल ही में किड्स सिनेमा 2020 का ऑनलाइन आयोजन किया गया था। इस अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में बच्चों ने कुछ मिनटों की फिल्मों में ही अपनी रचनात्मकता को साबित कर दिया। आपको अपनी बात कहने की खुशी दे सकती है। अपने नए इनोवेटिव आइडियाज को आप विजुअल स्टोरी के जरिए दिखा सकते हैं। बस आपको तय करना है कि मुझे बनानी है एक बढिय़ा फिल्म।

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दोस्तो, फिल्ममेकिंग आपके व्यक्तित्व को निखारती है। कई क्वालिटीज बढ़ा देती है। फिल्ममेकर मधु चोपड़ा कहती हैं, ‘अभी बच्चे घर में हैं अगर वे कुछ देर वीडियो गेम खेलते हैं तो उनके माइंड और फिंगर्स का कॉर्डिनेशन बनता है। माइंड शार्प होता है। यही हाथ जब कैमरा हैंडल करेंगे तो ज्यादा अच्छी तरह से करेंगे। दिमाग तैयार हो रहे हैं। इन बच्चों को चिंगारी चाहिए। अगर घर में उन्हें दो घंटे विश्व सिनेमा देखने के लिए कहा जाए तो वे दुनिया की संस्कृति से वाकिफ होंगे। उनका दिमाग खुल जाएगा। इस समय हम बच्चों के दिमाग को आकार दे रहे हैं और इसके लिए फिल्म मेकिंग की कला बहुत ही अच्छी चीज है।’

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