आज आसमान में एक खूबसूरत नजारा चांद की वजह से दिखने वाला है। जिसे स्ट्राबेरी मून, रेड मून, हनीमून और भी कई नामों से पुकारा जा रहा है। यह इस वर्ष का अंतिम सुपरमून होने वाला है। इस खगोलीय घटना को खगोलविद अपने नजरिये से देख रहे हैं तो ज्योतिष शास्त्र अपने लिहाज से इसका आकलन कर रहा है। आइये जानते हैं ज्योतिष के मुताबिक क्या है इस दिन का खास महत्व।
इस बारे में वाराणसी के ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक मालवीय बताते हैं कि 24 जून गुरुवार को ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को अत्यंत समृद्धि प्रदान करने वाला शुभ संयोग है। अब यह योग अगले वर्ष में बनेगा। ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा को अत्यंत उत्तम माना जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन गंगा स्नान एवं पितरों की पूजा दान का यह पर्व है। इस दिन चंद्रमा 16 कलाओं से युक्त होता है। ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा का स्कन्द पुराण और भविष्य पुराण में महत्व बताया गया है। इस बार यह पूर्णिमा 24 जून गुरुवार को पड़ रही है।
इस तिथि पर भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। तीर्थ और पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है। इस दिन किए गए दान और उपवास से अक्षय पुण्य फल मिलता है। इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से युक्त होता है और किये गए शुभ कार्यों का पूरा फल प्राप्त होता है। पंडित दीपक मालवीय ने बताया कि इस वर्ष पूर्णिमा तिथि पर गुरुवार का शुभ संयोग बन रहा है। अब अगले गुरुवार एवं पूर्णिमा का संयोग 2022 में बनेगा।
गुरुवार और पूर्णिमा तिथि से बनने वाले शुभ संयोग में किए गए कार्यों से सुख-समृद्धि, वैभव और सौभाग्य बढ़ता है। इस शुभ संयोग में किए गए स्नान दान का कई गुना फल प्राप्त होता है। इससे पूर्व जनवरी माह में गुरुवार और पूर्णिमा का योग बना था। इस पर्व पर सूर्य और चंद्रमा के बीच 169 से 180 डिग्री का अंतर होता है जिसे यह ग्रह आमने-सामने आ जाते हैं और इनके बीच समसप्तक योग बनता है।
पूर्णिमा पर चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से पूर्ण रहता है। इसलिए जिन औषधियों का सेवन करने से उम्र बढ़ती इसी योग में की गए कामों में पूर्ण सफलता मिलती है। पूर्णिमा के स्वामी स्वयं चंद्रमा है। ज्योतिष के मुताबिक, चंद्रमा का असर हमारे मन पर पड़ता है।
इसलिए इस तिथि पर मानसिक उथल पुथल जरूर होती है। गुरुवार और पूर्णिमा से बनने वाले शुभ संयोग में किए कामों में सुख और समृद्धि तथा सौभाग्य की प्राप्ति होती है। ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक मालवीय ने यह भी बताया कि रोज के दिनों से पूर्णिमा वाले दिन चंद्रमा पूर्ण आकार में रहता है। इस वजह से यह कहीं ज्यादा रोशनी बिखेरेगा और शुरुआत के क्षणों में यह लालिमा आभा में दिखेगा।