श्रीहरिकोटा। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान 3 की ऐतिहासिक लैंडिंग के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) एक बार फिर इतिहास रचने की दहलीज पर है। अब देश के साथ-साथ विश्व देश की निगाहें ISRO के सूर्य मिशन यानी Aditya L-1 पर टिकी हैं। श्रीहरिकोटा के लॉन्चिंग सेंटर से ISRO के सूर्य मिशन Aditya L-1 मिशन को आज 11.50 बजे लॉन्च कर दिया गया।
Aditya L-1 अंतरिक्ष यान को पृथ्वी और सूर्य के बीच की एक फीसदी दूरी तय करके L-1 पॉइंट पर पहुंचा देगा। लॉन्चिंग के ठीक 127 दिन बाद यह अपने पॉइंट L1 तक पहुंचेगा। इस पॉइंट पर पहुंचने के बाद Aditya L-1 बेहद अहम डेटा भेजना शुरू कर देगा।
#WATCH | Indian Space Research Organisation (ISRO) launches India’s first solar mission, #AdityaL1 from Satish Dhawan Space Centre in Sriharikota, Andhra Pradesh.
Aditya L1 is carrying seven different payloads to have a detailed study of the Sun. pic.twitter.com/Eo5bzQi5SO
— ANI (@ANI) September 2, 2023
क्या है Aditya L-1 मिशन?
ISRO ने हाल ही में चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च किया था, इस मिशन की सफलता के बाद भारत चांद के साउथ पोल पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बना। इस सफलता के तुरंत बाद भारत Aditya L-1 मिशन लॉन्च कर रहा है और सूर्य के अध्ययन की ओर अपना बड़ा कदम ले रहा है। इस मिशन का मकसद सूर्य के एल-1 पॉइंट पर जाकर सूर्य की परिक्रमा करना है, सूरज और पृथ्वी के बीच आने वाला एल-1 एक ऐसा पॉइंट है जहां से 24 घंटे सातों दिन सूरज पर नज़र रखी जा सकती है।
Aditya L-1 का बजट
इसरो की दुनिया में ये पहचान है कि वह तमाम मुश्किलों के बाद भी एक कम बजट में किसी भी मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च कर सकता है। Aditya L-1 का पूर्ण बजट क्या है यह सामने नहीं आया था, हालांकि सरकार द्वारा इसके लिए करीब 400 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे इसके अलावा इसकी लॉन्चिंग और सूर्य की कक्षा में काम करने तक का बजट भी इसके अतिरिक्त ही है।
ISRO को Aditya L-1 से क्या मिलेगा?
Aditya L-1 एक सैटेलाइट है जो सूरज की परिक्रमा करेगी। इसरो द्वारा इस सैटेलाइट में सात पेलोड भेजे जा रहे हैं, इनमें से 4 सूरज का अध्ययन करेंगे और बाकी एल-1 पॉइंट को समझेंगे।
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इन सभी पेलोड से कोरोनल तापमान, मास इजेक्शन, प्री-फ्लेयर, अंतरिक्ष का मौसम, सूरज के आसपास के कण और उसके बारे में जानकारी मिलेगी। तमाम पेलोड तस्वीर खींचने से लेकर तापमान मापने और अन्य रिसर्च करने के काम आएंगे। भारत से पहले अमेरिका, जापान, यूरोप, चीन भी अपने सौर मिशन लॉन्च कर चुके हैं।