सनातन धर्म में शनि देव को न्याय का देवता माना गया है। ज्योतिष के अनुसार शनि देव को उनके दंड के विधान के तहत ही क्रूर माना जाता है, इसी के चलते इन्हें लेकर लोगों में भय पैदा होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिस किसी की कुंडली में शनि की स्थिति अच्छी नहीं होती, उसके जीवन में परेशानियां पैदा हो जाती हैं। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति यही चाहता है कि किसी भी हालत में जीवन पर शनि का बुरा प्रभाव न पड़े। पंरतु जिन पर इनका दुष्प्रभाव पड़ जाए, उन्हें क्या करना चाहिए।
आपको बता दें ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को प्रसन्न करने के कई उपाय आदि बताए गए हैं। इन्हीं में से एक के बारे में हम आपको बता रहे हैं, जो जुड़ा है शनि देव के यंत्र से। ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि यंत्र अंकों का एक ऐसा चमत्कार हैं, जिनसे प्रत्येक ग्रह के प्रकोप को सरलता से शांत किया जा सकता है।
बात करें शनिदेव के यंत्र की तो यह 11 गुणा 3 के श्रृंखला योग का परिणाम होता है। इसमें 7 से लेकर 15 तक के अंक होते हैं, अर्थात 7, 8, 9, 10, 11, 12, 13, 14, 15, की अंख संख्या। इन्हें इस तरह व्यवस्थित किया जाता है कि एक सीध में किन्हीं भी तीन अंकों को जोड़ने पर कुल योग 33 हो।
चलिए जानते हैं कि इस यंत्र से कैसे शनि देव को प्रसन्न किया जा सकता है-
>> शनि देव के इस यंत्र को चांदी, सोने या भोजपत्र पर बनाकर पूजा स्थल में रखा जा सकता है। तो वहीं इसे गले या बांह पर भी धारण किया जाना शुभ होता है। ऐसी मान्यता है कि शनि यंत्र के शुभ प्रभाव से कुंडली में इनके प्रकोप का असर कम होता है। जातक का भाग्य चमकने लगता है, उसके जीवन में हर तरफ़ से खुशियां और सुख-सौभाग्य का आगमन होने लगता है।
>> शनि यंत्र के प्रभाव से जातक का अपने धर्म के प्रति आस्था और विश्वास बढ़ता है। व्यापारिक कार्यों में भी इसे सहायक माना गया है। मगर ध्याव रहे अगर इसे घर में स्थापित कर लिया जाए तो निरंतर रूप से इसकी पूजा करना बहुत आवश्यक हो जाता है। इसे घर के पूजा स्थल में स्थापित कर इसकी विधि वत पूजा करनी चाहिए।
>> अगर शनि यंत्र को धारण करना हो तो कोशिश करें इस काम को शनिवार के दिन ही संपन्न करें, इस दिन इसका निर्माण और इसे धारण करना श्रेष्ठ माना जाता है। पर ध्यान रहे धारण करने से पहले इसका पोषशोपचार पूजन जरूर करवाएं।
>> ध्यान रखें अगर शरीर के किसी अंग पर ये धारण हो तो ऐसे यंत्र को कभी पूजा स्थल में स्थापित न करें। वर्तमान समय में भी ये बाज़ारों आदि में आसानी से प्राप्त हो जाता है। कहा जाता है इसका निर्माण कुशल कारीगरों द्वारा किया जाता है।