उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने मंगलवार को कहा कि योगी सरकार गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर बकाया लगभग 14 हजार करोड़ रुपये का भुगतान तत्काल करे और साथ ही मौजूदा पेराई सत्र में गन्ना किसानों को 450 रुपये प्रति क्विंटल की दर से भुगतान करे।
श्री लल्लू ने कहा कि सरकार बनने से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गन्ना किसानों से अपने घोषणा पत्र संकल्प पत्र में यह वादा किया था कि सरकार बनने पर 14 दिनों के भीतर गन्ना किसानों का भुगतान कर देंगे और भुगतान न होने पर ब्याज सहित बकाया धनराशि भुगतान करने का वादा किया था। आज साढ़े तीन साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी गन्ना किसानों के बकाये का भुगतान नहीं हुआ है। भाजपा का यह वादा भी जुमला साबित हुआ है।
उन्होंने कहा कि योगी सरकार गन्ना किसानों की जिस तरह अनदेखी कर रही है उससे उनकी आर्थिक स्थित और भी खराब होती जा रही है। चीनी मिल मालिकों ने पिछले पेराई सत्र में जिस तरह किसानों के गन्ने की तौल की पर्चियों में वजन अंकित नहीं किया और समय पर भुगतान नही किया उससे वह वर्तमान चालू पेराई सत्र में चिंतित है और पिछला 14 हजार करोड़ रुपया भुगतान न होने से वह ठगा हुआ महसूस कर रहा है।
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श्री लल्लू ने कहा कि वर्तमान में खेती की लागत में लगातार वृद्धि हुई है। खाद, उर्वरक, बिजली, सिंचाई की लागत बढ़ने से गन्ना किसान को लगातार घाटा हो रहा है। पुराने रेट से गन्ना किसानों की खेती को लगातार नुकसान हो रहा, गन्ना किसान और उनका परिवार ऐसे में आर्थिक रूप से टूट गया है और भुखमरी के कगार पर पहुंच गया है। क्रय केन्द्रों पर गन्ना किसानों का शोषण किया जा रहा है। ट्राली से गन्ना उतराने पर किसानों से 100 रूपये की अतिरिक्त शुल्क वसूली जा रही है। नहरों में टेल तक अभी तक पानी नहीं पहुंच पाया है। रबी फसल की बुआई पूरी तरह संकट में है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि आज गन्ने से उत्पन्न शीरे से सरकार एथनाल बना रही है जिसका वाणिज्यिक इस्तेमाल होता है। इसी एथनॉल से आजकल सेनेटाइजर भी बनाया जा रहा है जो बड़ी कीमत पर बाजार में बिक रहा है। ऐसे में गन्ना किसानों को भी गन्ने के बाईप्रोडक्ट्स से होने वाले लाभ के अनुपात में ही उसकी फसल का मूल्य मिलना चाहिए। 450 रुपए प्रति क्विंटल दाम कहीं से भी अतार्किक नही है, योगी सरकार को फैंसला लेकर गन्ने के नए मूल्य की घोषणा करनी चाहिए ताकि गन्ना किसानों को राहत मिल सके।
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उन्होने कहा कि कोरोना काल की आर्थिक मुश्किलें और खराब मौसम ओलावृष्टि के चलते पहले से ही गन्ना किसानों की कमर टूट चुकी है, ऐसे में भुगतान न होने से गन्ना किसान लगभग भुखमरी की कगार पर पहुंच चुका है, वह बच्चों की पढ़ाई के खर्च सहित बहन बेटियों के हाथ पीले करने व रोजमर्रा के घरेलू खर्च के लिये साहूकारों के कर्ज के जाल में फंसता जा रहा है गन्ना किसान भुखमरी के कगार पर है। केन्द्र सरकार द्वारा लागू किये गये तीन काले कृषि कानूनों के विरोध में आज पूरे देश का किसान आन्दोलित है और इस भीषण ठण्ड में सड़कों पर उतरकर संघर्ष करने के लिए विवश है और अपनी जान गंवा रहा है।