नई दिल्ली। गन्ना किसानों को राहत देने के लिए चीनी का एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) 2 रुपये बढ़कार 33 रुपये करने की मंजूरी मिल गई है। बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में मंत्रियों के एक समूह ने चीनी के एमएसपी को 2 रुपये तक बढ़ाने की मंजूरी दे दी है। इस फैसले से शुगर मिलों की आय में बढ़ोतरी होगी जिससे वो किसानों के बकाए का भुगतान कर पाएंगी। चीनी उत्पादन वर्ष 2019-20 के दौरान देशभर के गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर बकाया 20 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया है।
गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के एक समूह (जीओएम) ने में बुधवार को चीनी मिलों के न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) दो रुपये बढ़ाकर 33 रुपये प्रति किलोग्राम करने की सिफारिश की। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि ये मिलें अपने लगभग 20,000 करोड़ रुपये के लंबित गन्ने के बकाये का जल्द से जल्द भुगतान कर सकें। बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, खाद्य मंत्री रामविलास पासवान, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल मौजूद थे।
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सूत्रों ने कहा कि मंत्रीसमूह ने चीनी मिलों द्वारा भुगतान किए जाने वाले लंबित गन्ने के बकाया राशि का जायजा लिया, जो चालू 2019-20 सत्र (अक्टूबर-सितंबर) में अब तक लगभग 20,000 करोड़ रुपये है। बैठक में इस बात पर भी चर्चा की गई कि चीनी मिलें जल्द से जल्द कैसे इस बकाये का भुगतान सुनिश्चित कर सकती हैं। चर्चा किए गए प्रस्तावों में से एक चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) को बढ़ाना भी था।
सूत्रों ने कहा कि मंत्रीसमूह ने खाद्य मंत्रालय को निर्देश दिया कि वह नीति आयोग की अनुशंसा के अनुसार चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य को बढ़ाने के प्रस्ताव के साथ एक मंत्रिमंडल नोट लाए। उसने कहा कि यदि चीनी के एमएसपी में वृद्धि से किसानों के गन्ना राशि बकाए को कम करने में मदद नहीं मिलती है, तो सरकार अन्य विकल्पों पर विचार करेगी। गन्ने और चीनी उद्योग पर नीति आयोग द्वारा गठित एक कार्यबल ने चीनी के एमएसपी में एकमुश्त दो रुपये प्रति किलो की वृद्धि करने की सिफारिश की थी।
पिछले साल, सरकार ने उस मूल्य में वृद्धि की थी जिस कीमत पर चीनी मिलें थोक खरीदारों को चीनी बेचती हैं। उस वक्त इस एमएसपी को दो रुपये किलो की दर से बढ़ाकर इसे 31 रुपये प्रति किलो कर दिया गया था। सरकरी आंकड़ों के अनुसार, 2019-20 सत्र (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान चीनी मिलों ने किसानों से लगभग 72,000 करोड़ रुपये का गन्ना खरीदा है। उसमें से लगभग 20,000 करोड़ रुपये किसानों को भुगतान किया जाना अभी बाकी है।
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बता दें कुछ दिन पहले प्रमुख सचिव गन्ना विकास संजय आर.भूसरेड्डी ने ‘हिन्दुस्तान’ को बताया था कि अगर केन्द्र सरकार चीनी का न्यूनतम विक्रय मूल्य 2 रुपये प्रति किलो भी बढ़ाती है तो भी प्रदेश की चीनी मिलों को करीब 2500 से 3000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय होगी। जून के पहले सप्ताह में वह स्वयं केन्द्र सरकार से बातचीत में शामिल हुए थे।
न्यूनतम विक्रय मूल्य (एमएसपी) वह दर है जिसके नीचे मिलें खुले बाज़ार में चीनी को थोक व्यापारी एवं थोक उपभोक्ता जैसे पेय और बिस्किट निर्माताओं को नहीं बेच सकती हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य वह न्यूनतम मूल्य होता है, जिस पर सरकार किसानों द्वारा बेचे जाने वाले अनाज की पूरी मात्रा खरीदने के लिये तैयार रहती है।