नई दिल्ली| एक दशक से राष्ट्रीय कुश्ती टीम के साथ कोच पद की जिम्मेदारी संभाल रहे गुरु हनुमान अखाड़े के जाने माने कोच सुजीत मान ने इस साल किसी सक्रिय मौजूदा कोच के नाम की द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए सिफारिश नहीं किये जाने पर नाराजगी जताई है जबकि कुश्ती इस समय देश का एकमात्र ऐसा खेल है, जिसमें भारत ने पिछले तीन ओलंपिक में लगातार पदक जीते हैं।
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खुद सुजीत का लगातार तीसरे वर्ष द्रोणाचार्य के लिए नाम गया था लेकिन नियमों के अनुसार सर्वाधिक अंक होने के बावजूद उन्हें एक बार फिर नजरअंदाज कर दिया गया। पिछले दो वषोर्ं में भी उनके सर्वाधिक अंक बनते थे लेकिन वह नजरअंदाज हो गए थे।
43 साल के सुजीत ने सवाल उठाते हुए कहा, “मैंने मीडिया में छपे द्रोणाचार्य पुरस्कारों के नाम देखे हैं जिसमें हॉकी में लाइफटाइम और नियमित वर्ग दोनों में कोचों के नाम की सिफारिश की गयी है लेकिन कुश्ती में सिर्फ लाइफटाइम वर्ग में एक नाम है। यह लगातार तीसरा साल है जब नियमित वर्ग में किसी कुश्ती कोच का नाम नहीं है।
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सुजीत ने इसके अलावा बजरंग पुनिया, राहुल अवारे, दीपक पुनिया, रवि कुमार, सुमित, सोमवीर, मौसम खत्री, अमित कुमार, पवन कुमार, अमित धनकड, विनोद कुमार जैसे विख्यात पहलवानों को राष्ट्रीय शिविर में ट्रेनिंग दी है। वह विश्व चैंपियनशिप, एशियाई खेल, कामनवेल्थ गेम्स और वर्ल्ड रैंकिंग चैंपियनशिप में भारतीय टीम के कोच की भूमिका निभा चुके हैं लेकिन लगातार तीसरे साल नजरअंदाज किये जाने से उन्हें गहरी निराशा हुई है।