भारतीय क्रिकेट टीम (Indian Cricket Team) ने टेस्ट क्रिकेट में पिछले कुछ सालों में अपना दबदबा बनाया है। खास तौर विराट कोहली (Virat Kohli) के नेतृत्व में टीम इंडिया (Team India) ने इस फॉर्मेट में खुद को बाकी टीमों की तुलना में काफी मजबूत किया है। इसका ताजा उदाहरण तो ऑस्ट्रेलिया में लगातार दो टेस्ट सीरीज जीत हैं और साथ ही घरेलू जमीन पर हराना असंभव के बराबर है। लेकिन क्या ये टीम 1970-80 के दशक वाली वेस्टइंडीज या 1990 और 2000 के दशक वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम जैसा प्रभुत्व हासिल कर सकती है? महान भारतीय बल्लेबाज और पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) ने इसका जो जवाब दिया है, वो भारतीय कप्तान विराट कोहली और कोच रवि शास्त्री (Ravi Shastri) को तो पसंद नहीं आएगा। दरअसल भारतीय टीम टेस्ट क्रिकेट में नंबर एक रैंक पर है। टीम इंडिया ने पिछले 5 सालों में निरंतर शीर्ष 3 में अपनी जगह बनाए रखी है। इतना ही नहीं विदेशी जमीन पर भी अब भारत को सीरीज जीत का दावेदार माना जाने लगा है और टीम जीतकर दिखा भी रही है। आईसीसी वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में भी ये टीम जगह बना चुकी है। भारतीय टीम जैसा घर में और घर के बाहर प्रदर्शन और कोई टीम नहीं कर पाई है।
इसके बावजूद टीम इंडिया अभी कुछ मोर्चों पर थोड़ी कमजोर पड़ जाती है और यही कारण है कि वह विंडीज और ऑस्ट्रेलिया जैसी टीमों की तरह राज नहीं करती। फिर भी ये टीम उस स्तर पर तक पहुंचने की काबिलियत रखती है। 70 और 80 के दशक की विंडीज टीम का सामना करने वाले गावस्कर ने इस बारे में एक यूट्यूब चैलन पर बात करते हुए कहा, “मैं ज्यादा आश्वस्त नहीं हूं, कि वे (भारतीय टीम) वेस्टइंडीज की तरह दबदबा बना पाएगी। वो (वेस्टइंडीज) उस वक्त सभी पांच मैच जीत रहे थे। यहां तक कि ऑस्ट्रेलिया भी पांच में से चार मैच जीत जाते थे।”
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गावस्कर ने अपनी इस बात के पीछे जो तर्क दिया वह वाजिब लगता भी है। महान बल्लेबाज ने अपने इस विचार के पीछे की वजह तो बताई ही, साथ ही कहा कि ये टीम बेहद प्रतिभाशाली है और ऊंचाईयों को छू सकती है। उन्होंने कहा, “मैं ज्यादा यकीन से नहीं कह सकता कि ये भारतीय टीम ऐसा कर पाएगी, क्योंकि भले ही ये एक जबरदस्त प्रतिभाशाली टीम है, लेकिन कई मौकों पर आपको निरंतरता की कमी दिखती है। सिर्फ इसी कारण से मैं रुक जाता हूं। लेकिन जहां तक क्षमता की बात है, तो ये नई ऊंचाईयों को छू सकते हैं।”