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बाटला हाउस मुठभेड़ के गुनहगारों के समर्थकों को झटका

Batla House Encounter

Batla House Encounter

सियाराम पांडे ‘शांत’

बाटला हाउस मुठभेड़ कांड में अदालत ने आरोपी आरिज खान को फांसी की सजा देकर जहां न्याय पसंद लोगों के विश्वास में इजाफा किया है,वहीं वर्षों तक इस मामले में आतंकियों के समर्थन की राजनीति करने वालों का भी मुंह बंद कर दिया है। इसमें शक नहीं कि  अपने देशमेंराजनीति अक्सर पथच्युत होजाती है और वह जाति-धर्म की  तुला पर खुद को तौलने लगती है। अगर मामला वोट से जुड़ा हो तो फिर नेताओं में ऐसी गलतियां करने की होड़ लग जाती है। बाटला हाउस एनकाउन्टर केस में जिस तरह की राजनीति हुई वह निश्चय ही  देश की राष्ट्रीय सुरक्षा, एकता और अखण्डता के खिलाफ थी।

इस तरह की राजनीति से सुरक्षा कर्मियों का मनोबल गिरता है। बहरहाल दिल्ली की साकेत कोर्ट द्वारा इंडियन मुजाहिदीन के आतंकवादी आरिज खान को फांसी की सजा देने के साथ ही यह बात भी अब स्पष्ट हो गयी है कि बाटला हाउस मुठभेड़ नकली नहीं था बल्कि दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के जवानों ने अपने कर्तव्य को जांबाजी से अंजाम देते हुए आतंकवादियों को पकड़ने की कोशिश की जिससे मुठभेड़  हुई और दो आतंकी मारे गये, दो गिरफ्तार कर  लिये गये और एक आतंकी मौके से भाग निकला। इसी मुठभेड़ में दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चन्द्र शर्मा शहीद हो गये।  मारे गये आतंकियों का संबंध उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ से था। चुनाव के दौरान अनेक नेता आजमगढ़ में मारे गये आतंकियों के घर गये और उनको बेगुनाह बताया था।

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19 सितम्बर 2008 को जब बाटला हाउस एनकाउन्टर हुआ उससे ठीक एक सप्ताह पूर्व 13 सितम्बर 2008 को दिल्ली में सीरियल बम धमाके हुए थे जिसमें 39 लोगों की मौत हुई थी और 159 लोग घायल हो गये थे। इसी सीरियल ब्लास्ट की जांच कर रही टीम के सदस्य थे इंस्पेक्टर मोहन चन्द्र शर्मा। बम धमाकों की जांच कर रही टीम संदेह के आधार पर जामिया नगर के बाटला हाउस के मकान नं. एल-18 के थर्ड प्लोर पर पहुंची जहां इंडियन मुजाहिदीन के आतंकियों से मुठभेड़ हो गयी। मुठभेड़ में दो संदिग्ध आतंकी मारे गये, दो गिरफ्तर किये गये और एक फरार हो गया। फरार आतंकी आरिज खान था जिस पर दिल्ली, जयपुर, अहमदाबाद और यूपी की अदालतों में श्रृंखलाबद्ध धमाकों का मास्टर माइंड होने का आरोप है।

आरिज खान करीब एक दशक तक फरार रहने के बाद 2018 में नेपाल में पकड़ा गया और उस पर इंस्पेक्टर मोहन चन्द्र शर्मा की हत्या का मुकदमा दिल्ली की साकेत कोर्ट में चलाया गया। अदालत ने आरिज  खान के अपराध को रेयरेस्ट ऑफ  द रेयर माना और धारा 302, 307 और आर्म्स एक्ट में दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई। इस सजा से एक बार फिर मुठभेड़ की सत्यता की पुष्टि हो गयी है। वैसे बाटला हाउस एनकाउन्टर की जांच दिल्ली उच्च न्यायालय और मानवाधिकार आयोग भी कर चुका है और सबने इसे सही पाया है। बहरहाल बाटला हाउस एनकाउन्टर के बाद पुलिस आईएम के आतंकी नेटवर्क को ध्वस्त करने में सफल हो गयी।

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दरअसल आईएम ने एक समय देश की नाक में दम करके रख दिया था। कोई भी ऐसा शहर नहीं बचा था जहां इस आतंकी संगठन की पहुंच नही थी।  देश को दहलाने के लिए आईएम ने व्यापक नेटवर्क बना लिया था। फांसी की सजा पाने वाला आरिज खान दिल्ली के साथ जयपुर, अहमदाबाद और यूपी के अदालतों में हुए धमाकों का मास्टर माइंड बताया जाता है और इन सभी धमाकों में 165 लोगों की मौत हुई और 535 लोग घायल हुए हैं। इतने बड़े अपराध के मास्टर माइंड को इंस्पेक्टर मोहन चन्द्र शर्मा की हत्या के आरोप में सजा होना निश्चित रूप से सुरक्षा बलों के साथ अभियोजन प्रक्रिया की भी बड़ी उपलब्धि है। लेकिन इस प्रकरण में जो राजनीति हुई और जो हो रही वह चिंताजनक है।  वैसे देश में जिस तरह कुछ राजनीतिक दल आतंकियों का भी समर्थन करने लगते हैं,उसे मुफीद नहीं कहा जा सकता।

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