सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत नया संसद भवन के निर्माण को कुछ शर्तों के साथ मंजूरी दे दी है। जस्टिस ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने सुबह 10.30 ये फैसला सुनाया। अब तक कोर्ट ने इस प्रोजेक्ट के काम पर रोक लगा रखा था।
बेंच ने दो अलग-अलग फैसले दिए। एक फैसला जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी का है. दूसरा फैसला जस्टिस संजीव खन्ना ने दिया।
दरअसल, केंद्र सरकार की इस महत्वाकांक्षी परियोजना को कई याचिकाओं के जरिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इन याचिकाओं में कहा गया कि बिना उचित कानून पारित किए इस परियोजना को शुरू किया गया। इसके लिए पर्यावरण मंजूरी लेने की प्रक्रिया में भी कमियां हैं। हजारों करोड़ रुपये की यह योजना सिर्फ सरकारी धन की बर्बादी है। संसद और उसके आसपास की ऐतिहासिक इमारतों को इस परियोजना से नुकसान पहुंचने की आशंका है। हालांकि, अदालत ने इनमें से कुछ दलीलों को खारिज करते हुए कुछ शर्तों के साथ सेंट्रल विस्टा परियोजना को मंजूरी दे दी है।
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सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत नए संसद परिसर का निर्माण किया जाना है। इसमें 876 सीट वाली लोकसभा, 400 सीट वाली राज्यसभा और 1224 सीट वाला सेंट्रल हॉल बनाया जाएगा। 10 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका शिलान्यास कर चुके हैं। नई संसद भवन के बनने के बाद संयुक्त बैठक के दौरान सदस्यों को अलग से कुर्सी लगा कर बैठाने की ज़रूरत खत्म हो जाएगी।
सेंट्रल विस्टा में एक दूसरे से जुड़ी 10 इमारतों में 51 मंत्रालय बनाए जाएंगे। अभी यह मंत्रालय एक-दूसरे से दूर 47 इमारतों से चल रहे हैं। मंत्रालयों को नजदीकी मेट्रो स्टेशन से जोड़ने के लिए भूमिगत मार्ग भी बनाया जाएगा। राष्ट्रपति भवन के नज़दीक प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के लिए नया निवास भी बनाया जाएगा। अभी दोनों के निवास स्थान राष्ट्रपति भवन से दूर हैं।