नई दिल्ली| यूपीएससी सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा स्थगित करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। यूपीएससी अभ्यर्थियों की ओर से दायर याचिका में देश में तेजी से कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों और कई राज्यों में भयंकर बाढ़ की स्थिति के मद्देनजर परीक्षा स्थगित करने की मांग की गई है।
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जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 28 सितंबर को तय की है। यूपीएससी प्रीलिम्स परीक्षा देश भर में 4 अक्टूबर को आयोजित होने जा रही है। परीक्षा के एडमिट कार्ड भी जारी कर दिए गए हैं।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि महामारी की स्थिति में परीक्षा आयोजित कराना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वास्थ्य एवं जीवन के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
यह याचिका एडवोकेट अलख श्रीवास्तव के जरिए 20 यूपीएससी अभ्यर्थियों ने दाखिल की है। याचिका के मुताबिक 4 अक्टूबर को देश के 72 केंद्रों पर छह लाख से ज्यादा अभ्यर्थी 7 घंटे की परीक्षा देंगे। याचिका में कहा गया है कि महामारी के इस संकट के समय में ऑफलाइन परीक्षाएं करवाना लाखों युवा छात्रों की जिंदगी को खतरे में डालने से ज्यादा और कुछ नहीं है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि सिविल सर्विसेज एग्जामिनेशन एक भर्ती परीक्षा है। यह अकादमिक परीक्षाओं से अलग है। इसमें देरी से अकादमिक सत्र में देरी नहीं होगी।
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यूपीएससी ने परीक्षा देने वाले परीक्षार्थियों के लिए एग्जाम में मास्क या फेस कवर पहनना अनिवार्य बना दिया है। आयोग ने कहा है कि परीक्षार्थी पारदर्शी बोतलों में सैनिटाइजर भी ला सकते हैं। बिना मास्क के किसी भी परीक्षार्थी को परीक्षा केन्द्र में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जायेगी। परीक्षार्थियों को कोविड-19 के नियमों का पालन करना होगा। उन्हें परीक्षा हॉल/कमरों के साथ परिसरों में भी सामाजिक दूरी का पालन करना होगा।