Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त किया मराठा आरक्षण, बताया समानता के अधिकार का उल्लंघन

child pornography

child pornography

सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि संविधान का 102वां संशोधन वैध है। मराठों को एसईबीसी श्रेणी में जोड़ने वाला महाराष्ट्र का प्रावधान गलत है।

कोर्ट ने कहा था आरक्षण सीमा 50 फीसदी से अधिक नहीं हो सकती है। कोर्ट ने कहा था आपात स्थिति बताकर संविधान का उल्लंघन किया गया। लेकिन ऐसी कोई स्थिति नहीं थी। जस्टिस गायकवाड़ रिपोर्ट से ऐसी कोई बात निकलकर सामने नहीं आई थी।

सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने कहा है कि इंदिरा साहनी फैसले पर दोबारा विचार की ज़रूरत नहीं। महाराष्ट्र में कोई आपात स्थिति नहीं थी कि मराठा आरक्षण जरूरी हो। अबतक मराठा आरक्षण से मिली नौकरी और कॉलेज एडमिशन बरकरार रहेंगे। आगे आरक्षण नहीं मिलेगा। पांच जजों की बेंच में से तीन जजों ने कहा कि सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग का निर्धारण राज्य सरकारें नहीं कर सकती हैं, ये अधिकार केंद्र सरकार का है। जबकि दो जजों ने कहा कि शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग का निर्धारण राज्य सरकारों के अलावा केंद्र सरकार भी कर सकती हैं।

PM मोदी ने तीसरी बार मुख्यमंत्री बनाने पर ममता बनर्जी को दी बधाई

पिछले 26 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली इस बेंच में जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस एस अब्दुल नजीर, जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस एस रविंद्र भट्ट शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 9 सितंबर 2020 को महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण पर रोक लगाते हुए इस मामले को पांच जजों या उससे ज्यादा की संख्या वाली बेंच को विचार करने के लिए रेफर कर दिया था।

CM योगी ने पंचायत चुनाव में विजेता उम्मीदवारों को दी शुभकामनाएं

27 जून 2019 को बांबे हाईकोर्ट ने मराठा आरक्षण की वैधता को बरकरार रखा था, लेकिन इसे 16 प्रतिशत से कम कर दिया। बांबे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के 16 प्रतिशत आरक्षण को घटाकर शिक्षा के लिए 12 प्रतिशत और नौकरियों के लिए 13 प्रतिशत करते हुए यह पाया कि अधिक कोटा उचित नहीं था।

Exit mobile version