नई दिल्ली| उच्चतम न्यायालय ने लोन मोरेटोरियम (किस्त भुगतान में मोहलत) को 28 सितंबर तक के लिए बढ़ा दिया है। इस अवधि तक बैंक किसी भी खाते को गैर निष्पादित संपदा (एनपीए) घोषित नहीं करेंगे। अगली सुनवाई 28 सितंबर तक होगी।
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इससे पहले, सरकार ने न्यायालय को सूचित किया कि कोविड-19 महामारी के दौरान मोरेटोरियम अवधि में ऋण भुगतान की किस्तें स्थगित करने पर बैंकों द्वारा लगाए जा रहे ब्जाज के मसले पर उच्च स्तर पर विचार हो रहा है। शीर्ष अदालत ने केन्द्र और रिजर्व बैंक को अपना जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय देते हुये कहा कि इससे पहले इस बारे में निर्णय लिया जाना चाहिए।
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न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यामयूर्ति एम आर शाह की पीठ ने इस मामले को अब 28 सितंबर के लिए सूचीबद्ध किया है। पीठ ने उम्मीद जताई कि केन्द्र और रिजर्व बैंक सभी मुद्दों पर सक्रिय होकर विचार करेंगे। पीठ ने स्पष्ट किया कि वह अंतिम अवसर दे रही है और इसके बाद इसकी सुनवाई स्थगित नहीं की जाएगी।न्यायालय कोविड-19 महामारी की वजह से घोषित मोरेटोरियम अवधि के दौरान स्थगित की गई किस्तों पर ब्याज वसूले जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था।