नई दिल्ली। इंटीरियर डिजाइनर को कथित तौर पर खुदकुशी के लिए उकसाने के मामले में बुधवार को रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। कोर्ट 2018 के एक इंटीरियर डिजायनर और उनकी मां को आत्महत्या के लिए कथित रूप से उकसाने के मामले में अंतरिम जमानत के लिए गोस्वामी की अपील पर सुनवाई कर रही थी।
गोस्वामी ने बंबई हाईकोर्ट के नौ नवंबर के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उन्हें और दो अन्य आरोपियों- फिरोज शेख और नीतीश सारदा- को अंतरिम जमानत देने से इंकार करते हुए कहा था कि इसमें हमारे असाधारण अधिकार का इस्तेमाल करने के लिए कोई मामला नहीं बनता है। अर्नब और अन्य आरोपियों ने अंतरिम जमानत के साथ ही इस मामले की जांच पर रोक लगाने और उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने का अनुरोध हाईकोर्ट से किया था।
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सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार अर्नब गोस्वामी के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने के 2018 के मामले में सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार पर सवाल उठाए हैं। कहा कि इस तरह से किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत आजादी पर बंदिश लगाया जाना न्याय का मखौल होगा। न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी की पीठ ने कहा कि अगर राज्य सरकारें लोगों को निशाना बनाती हैं, तो उन्हें इस बात का अहसास होना चाहिए कि नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट है। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि राज्य सरकारें कुछ लोगों को विचारधारा और मत भिन्नता के आधार पर निशाना बना रही हैं।
अर्नब गोस्वामी की अंतरिम जमानत की याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि हम देख रहे हैं कि एक के बाद एक ऐसा मामला है जिसमें हाईकोर्ट जमानत नहीं दे रहे हैं और वे लोगों की स्वतंत्रता, निजी स्वतंत्रता की रक्षा करने में विफल हो रहे हैं। न्यायालय ने राज्य सरकार से जानना चाहा कि क्या गोस्वामी को हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ की कोई जरूरत थी क्योंकि यह व्यक्तिगत आजादी से संबंधित मामला है। पीठ ने टिप्पणी की कि भारतीय लोकतंत्र असाधारण तरीके से लचीला है और महाराष्ट्र सरकार को इन सबको (टीवी पर अर्नब के ताने) नजरअंदाज करना चाहिए।
बंबई हाईकोर्ट से नहीं मिली थी जमानत
बंबई हाईकोर्ट ने सोमवार को इस मामले में अर्नब गोस्वामी और दो अन्य को अंतरिम जमानत देने से इंकार करते हुए कहा था कि उन्हें राहत के लिए निचली अदालत जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर आरोपी अपनी गैरकानूनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हैं और जमानत की अर्जी दायर करते हैं, तो संबंधित निचली अदालत चार दिन में उस पर निर्णय करेगी।
चार नवंबर को गिरफ्तार किए गए थे अर्नब गोस्वामी
गोस्वामी को चार नवंबर को मुंबई में उनके निवास से गिरफ्तार करके पड़ोसी जिले रायगढ़ के अलीबाग ले जाया गया था। उन्हें और दो अन्य आरोपियो को बाद में मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया जिन्होंने आरोपियों को पुलिस हिरासत में भेजने से इंकार कर दिया था। अदालत ने तीनों को 18 नवंबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
गोस्वामी को शुरू में अलीबाग जेल के लिए कोविड-19 पृथकवास केन्द्र के रूप में एक स्थानीय स्कूल परिसर में रखा गया था, लेकिन 8 नवंबर को उन्हें रायगढ़ जिले में स्थित तलोजा जेल भेज दिया गया क्योंकि उन पर न्यायिक हिरासत के दौरान मोबाइल फोन के इस्तेमाल का आरोप था।