नई दिल्ली| एडमिशन देने से मना करने पर एक मेडिकल कॉलेज को भारी कीमत चुकानी पड़ी है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तेलंगाना के एक मेडिकल कॉलेज को निर्देश दिया कि वह गलत तरीके से डॉक्टर को पीजी में एडमिशन देने के हर्जाने के रूप में 10 लाख रुपए अदा करे।
तीन जजों की बेंच ने मेडिकल कॉलेज के इस रवैये को अशोभनीय करार दिया। कॉलेज ने एमएस कौमुदी नाम की छात्रा को पीजी में एडमिशन देने से मना कर दिया जबकि उसने फीस भी जमा करा दी थी। कॉलेज के इस व्यवहार से पीड़िता का कीमती साल बर्बाद हो गया। न्यायाधीश एलएन राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने कॉलेज को आदेश दिया कि उसे 4 सप्ताह के भीतर मुआवजे की राशि उपलब्ध कराई जाए। इतना ही सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेज को यह भी आदेश दिया कि उसे एमएस (जनरल सर्जरी) में अगले साल के शैक्षिक सत्र में सीट भी एलॉट करे।
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आरोपी कॉलेज कामिनेनी एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेस एंड रिसर्च सेंटर, हैदराबाद से संबद्ध है। कॉलेज के सीटें भरने के तरीके को भी संदिग्ध पाया गया।
उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा कि यह कॉलेज की जिम्मेदारी है कि जिस छात्रा को एडमिशन देने से मना किया गया है उससे संपर्क करे और अगले सत्र में प्रवेश के लिए सीट ऑफर करे।