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सुप्रीम कोर्ट ने नए कृषि कानून पर लगाई अंतरिम रोक, किया कमेटी का गठन

Supreme Court

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेशों तक नए कृषि कानूनों पर मंगलवार को सुनवाई के दौरान रोक लगा दी है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी का गठन कर दिया है।

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केंद्र सरकार द्वारा पास किए गए तीनों कृषि कानून के लागू होने पर सर्वोच्च अदालत ने मंगलवार को यह फैसला सुनाया है। साथ ही अब इस मसले को सुलझाने के लिए कमेटी का गठन कर दिया गया है। सरकार और किसानों के बीच लंबे वक्त से चल रही बातचीत का हल न निकलने पर सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला लिया है। इस कमेटी में कुल चार लोग शामिल होंगे, जिनमें भारतीय किसान यूनियन के जितेंद्र सिंह मान, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, अशोक गुलाटी (कृषि विशेषज्ञ) और अनिल शेतकारी शामिल हैं।

अटॉर्नी जनरल की ओर से कमेटी बनाने का स्वागत किया गया है। इस पर हरीश साल्वे कहा कि सुप्रीम कोर्ट यह स्पष्ट कर सकता है कि ये किसी पक्ष के लिए जीत नहीं होगी, बल्कि कानून की प्रक्रिया के जरिए जांच का प्रयास ही होगा। चीफ जस्टिस की ओर से इस पर कहा गया कि ये निष्पक्षता की जीत हो सकती है।

याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि प्रदर्शन में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा है, ऐसे में बड़ी जगह मिलनी चाहिए। वकील ने रामलीला मैदान का नाम सुझाया, तो अदालत ने पूछा कि क्या आपने इसके लिए अर्जी मांगी थी?

अदालत ने किसान संगठनों को भी नोटिस जारी किया है, जिसमें उन्होंने दिल्ली पुलिस से ट्रैक्टर रैली निकालने की परमिशन मांगी है। सुप्रीम कोर्ट में अब ये मामला सोमवार को सुना जाएगा। चीफ जस्टिस की ओर से अटॉर्नी जनरल से कहा गया है कि वह प्रदर्शन में किसी भी बैन संगठन के शामिल होने को लेकर हलफनामा दायर करें।

सांसद तिरुचि सीवा की ओर से जब वकील ने कानून रद्द करने की अपील की तो चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें कहा गया है कि साउथ में कानून को समर्थन मिल रहा है। जिसपर वकील ने कहा कि दक्षिण में हर रोज इनके खिलाफ रैली हो रही हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि वो कानून सस्पेंड करने को तैयार हैं, लेकिन बिना किसी लक्ष्य के नहीं।

किसानों के एक वकील ने कहा कि इस तरह का मानना है कि कमेटी मध्यस्थ्ता करेगी। जिसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि कमेटी मध्यस्थ्ता नहीं करेगी, बल्कि मुद्दों का समाधान करेगी।

अदालत में हरीश साल्वे की ओर से कहा गया कि 26 जनवरी को कोई बड़ा कार्यक्रम न हो, ये सुनिश्चित होना चाहिए। जिस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि दुष्यंत दवे की ओर से पहले ही कहा जा चुका है कि रैली-जुलूस नहीं होगा। हरीश साल्वे ने इसके अलावा सिख फॉर जस्टिस के प्रदर्शन में शामिल होने पर आपत्ति जताई और कहा कि ये संगठन खालिस्तान की मांग करता आया है। चीफ जस्टिस ने कहा कि वह ऐसा फैसला जारी कर सकते हैं जिससे कोई किसानों की जमीन न ले सके।

सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन को लेकर सुनवाई शुरू हो गई है। अदालत में किसानों की ओर से एमएल शर्मा ने कहा कि किसान कमेटी के पक्ष में नहीं हैं, हम कानूनों की वापसी ही चाहते हैं। एमएल शर्मा की ओर से अदालत में कहा गया कि आज तक पीएम उनसे मिलने नहीं आए हैं, हमारी जमीन बेच दी जाएंगी। जिस पर चीफ जस्टिस ने पूछा कि जमीन बिक जाएंगी ये कौन कह रहा है? वकील की ओर से बताया गया कि अगर हम कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट में जाएंगे और फसल क्वालिटी की पैदा नहीं हुई, तो कंपनी उनसे भरपाई मांगेगी।

चीफ जस्टिस ने बताया कि हमें बताया गया कि कुल 400 संगठन हैं, क्या आप सभी की ओर से हैं। हम चाहते हैं कि किसान कमेटी के पास जाएं, हम इस मुद्दे का हल चाहते हैं हमें ग्राउंड रिपोर्ट बताइए। कोई भी हमें कमेटी बनाने से नहीं रोक सकता है। हम इन कानूनों को सस्पेंड भी कर सकते हैं। जो कमेटी बनेगी, वह हमें रिपोर्ट देगी।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की ओर से कहा गया कि अगर समस्या का हल निकालना है, तो कमेटी के सामने जाना होगा। सरकार तो कानून लागू करना चाहती है, लेकिन आपको हटाना है। ऐसे में कमेटी के सामने चीजें स्पष्ट होंगी। चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान किसानों की मांग पर कहा कि पीएम को क्या करना चाहिए, वह तय नहीं कर सकते हैं। हमें लगता है कि कमेटी के जरिए रास्ता निकल सकता है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि अदालत के फैसले के बाद हमारी कमेटी की बैठक होनी है। इसी बैठक में हम आगे का फैसला करेंगे और रणनीति बनाएंगे।

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