नई दिल्ली| सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 28 सितंबर तक लोन रीपेमेंट मोरेटोरियम को बढ़ा दिया और इस अवधि (31 अगस्त तक) के दौरान किस्तों का भुगतान न करने के कारण किसी भी लोन को एनपीए घोषित नहीं करने का निर्देश दिया है। लोन मोरेटोरियम मामले की आज सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले को बार-बार टाला जा रहा है।
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सुप्रीम कोर्ट के बैंक लोन अकाउंट को अगले दो महीने तक एनपीए घोषित नहीं किए जाने के आदेश से कर्जधारकों को बड़ी राहत मिली है। दरअसल, अगर किसी व्यक्ति के लोन को एनपीए घोषित कर दिया जाता है तो उसकी सिबिल रेटिंग खराब हो जाती है। इससे उसे भविष्य में लोन लेने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
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वरीष्ठ अधिवक्ता राजीव दत्ता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि लाखों लोग अस्पतालों में हैं। बहुत से लोगों ने अपनी आय के स्रोत खो दिए हैं। केंद्र सरकार को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए, स्थगन के मुद्दे पर राहत देने और ब्याज पर छूट देने का फैसला करना चाहिए। उन्होंने अदालत को बताया कि अभी भी चक्रवृद्धि ब्याज वसूला जा रहा है। राहत कहां है? ऋण का पुनर्गठन किया जा रहा है, जो पहले किया जाना चाहिए था।