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रामदेव-बालकृष्ण हाजिर हों…, पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले में SC का आदेश

Patanjali

baba ramdev

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आयुर्वेदिक कंपनी पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण (Acharya Balkrishna) और योग गुरु रामदेव (Ramdev) को सुनवाई की अगली तारीख पर पेश होने का आदेश दिया है। बतातें चलें कि बीमारियों के इलाज पर भ्रामक विज्ञापनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पतंजलि और बालकृष्ण को अवमानना का नोटिस भेजकर जवाब मांगा था, जिसका इन लोगों ने जवाब नहीं दिया।

न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कंपनी और बालकृष्ण की अदालत ने पहले जारी नोटिसों पर जवाब दाखिल करने में विफल रहने पर कड़ी आपत्ति जताई। पीठ ने रामदेव को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए?

पहले लग चुकी है फटकार

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने योगगुरु रामदेव (Ramdev)  की पतंजलि आयुर्वेद को उसके उत्पादों के बारे में न्यायालय में दिए गए पूर्व के आश्वासनों के उल्लंघन और दवाओं के असर से जुड़े गलत दावों के मामले में कड़ी फटकार लगाई थी। न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति ए अमानुल्लाह की पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद (Patanjali Ayurveda) और उसके प्रबंध निदेशक को नोटिस जारी कर पूछा था कि उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जाए।

पिछले साल नवंबर में किया था आगाह

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस पटवालिया ने याचिका में बताया था कि पतंजलि ने दावा किया था कि योग अस्थमा और डायबिटीज को ‘पूरी तरह से ठीक’ कर सकता है। पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापनों को लेकर केंद्र से परामर्श और गाइडलाइंस जारी करने का आदेश दिया था। पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद और उसके अधिकारियों को मीडिया में (प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक दोनों तरह की) अन्य दवा प्रणालियों के बारे में कुछ गलत कहने के लिए आगाह किया था। कंपनी ने पहले अदालत के समक्ष अपने हलफनामे में ऐसा नहीं करने की बात कही थी। पिछले साल 21 नवंबर को, कंपनी का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को आश्वासन दिया था कि आगे से कानून का कोई उल्लंघन नहीं होगा।

भ्रामक विज्ञापनों पर पतंजलि को सुप्रीम कोर्ट ने जारी क‍िया नोटिस, केंद्र सरकार को लगाई फटकार

कंपनी की ओर से हलफनामे में कहा गया था कि पतंजलि उत्पादों के औषधीय असर का दावा करने वाला कोई भी अनौपचारिक बयान या किसी भी दवा प्रणाली के खिलाफ कोई बयान या विज्ञापन जारी नहीं किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की उस याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें रामदेव पर टीकाकरण अभियान और आधुनिक दवाओं को बदनाम करने का अभियान चलाने का आरोप लगाया गया है।

क्या है आईएमए का आरोप?

आईएमए (IMA) ने आरोप लगाया कि पतंजलि ने कोविड-19 वैक्सीनेशन (Covid-19 Pandemic) के खिलाफ एक बदनाम करने वाला कैंपेन चलाया था। इस पर अदालत ने चेतावनी दी थी कि पतंजलि आयुर्वेद (Patanjali Ayurveda) की ओर से झूठे और भ्रामक विज्ञापन तुरंत बंद होने चाहिए।

खास तरह की बीमारियों को ठीक करने के झूठे दावे करने वाले प्रत्येक उत्पाद के लिए एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने की संभावना जाहिर की। कोविड-19 महामारी (Covid-19 Pandemic) के दौरान एलोपैथिक फार्मास्यूटिकल्स पर अपनी विवादास्पद टिप्पणियों के लिए आईएमए (IMA) की ओर से दायर आपराधिक मामलों का सामना करने वाले रामदेव ने मामलों को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने भेजा था अवमानना का नोटिस

आईएमए (IMA की शिकायत के अनुसार, रामदेव कथित तौर पर आईपीसी की धारा 188, 269 और 504 के तहत सोशल मीडिया पर  मेडिकल बिरादरी द्वारा इस्तेमाल की जा रही दवाओं के खिलाफ सोशल मीडिया पर गलत जानकारी फैला रहे थे। कोर्ट ने अगली सुनवाई 15 मार्च 2024 को तय की गई थी।

हालांकि 19 मार्च 2024 को सुनवाई हुई और पतंजलि के सह संस्थापक रामदेव को अवमानना का नोटिस (Contempt Notice) का जवाब नहीं देने पर उन्हें समन भेजा और कोर्ट में अगली तारीख को पेश होने का आदेश भी दिया है।

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