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शाहीन बाग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से किया इंकार, राजनीतिक दलों को लगाई फटकार

Writer D by Writer D
09/05/2022
in राष्ट्रीय, नई दिल्ली
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नई दिल्ली। शाहीन बाग (Shaheen Bagh) से अतिक्रमण हटाये जाने के खिलाफ जो याचिका दायर की गई थी, उसपर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सुनवाई से इनकार कर दिया है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए यह भी पूछा कि इस मामले में पीड़ितों की जगह राजनीतिक दलों ने अदालत का दरवाजा क्यों खटखटाया है।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि देशभर में अतिक्रमण के खिलाफ चल रहे अभियानों पर उन्होंने रोक नहीं लगाई है। साथ ही शाहीन बाग (Shaheen Bagh) में मामला रिहायशी मकानों से जुड़ा नहीं है, बल्कि सड़क को खाली कराने से जुड़ा है।

इसके बाद CPIM पार्टी ने अपनी याचिका भी वापस ले ली। बता दें कि दक्षिण दिल्ली के अवैध निर्माण के खिलाफ जो कार्रवाई MCD कर रही है, उसको रोकने के लिए भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी (CPIM) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

… तो शाहीनबाग (Shaheen Bagh) पर क्यों चला बुलडोजर? सुप्रीम कोर्ट ने पूछा सवाल

साउथ MCD में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट में आज दोपहर में सुनवाई हुई। कोर्ट ने पूछा कि CPIM पार्टी इस मामले में याचिका क्यों दायर कर रही है। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई पीड़ित पक्ष हमारे पास आता है तो समझ आता है। क्या कोई पीड़ित नहीं है?

इसपर सीनियर वकील पी सुरेंद्रनाथ ने कहा कि एक याचिका रेहड़ीवालों के एसोसिएशन की भी है। आगे जस्टिस राव ने कहा कि आपको हाईकोर्ट जाना चाहिए था। वहीं यह भी कहा गया कि अगर रेहड़ी वाले भी नियम तोड़ रहे होंगे तो उनको भी हटाया जाएगा।

कोर्ट ने कहा कि जहांगीरपुरी में हम लोगों ने इसलिए दखल दी क्योंकि इमारतों को गिराया जा रहा था। रेहड़ी पटरी वाले सड़क पर सामान बेचते हैं। अगर दुकानों को नुकसान हो रहा है तो उनको कोर्ट आना चाहिए था। रेहड़ी पटरी वाले क्यों आए?

आगे CPIM के वकील ने कहा कि कोर्ट ने ही अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पर रोक लगाई थी। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने देश में अतिक्रमण के खिलाफ चल रही हर कार्रवाई को नहीं रोका है। अगर रिहायशी मकानों को तोड़ा जाएगा तो हम दखल देंगे। लेकिन यहां मामला सड़क से अतिक्रमण हटाने का है।

शोपियां: सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ जारी

Tags: delhi newsNational newsShaheen BaghSupreme Court
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