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Newsclick के एडिटर प्रबीर पुरकायस्थ को ‘सुप्रीम’ राहत, कोर्ट ने दिये रिहाई के आदेश

Prabir Purkayastha

Newsclick editor Prabir Purkayastha

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को Newsclick के प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ (Prabir Purkayastha) की गिरफ्तारी और रिमांड को अमान्य कर दिया, जिन्हें पिछले साल दिल्ली पुलिस ने UAPA के तहत गिरफ्तार किया था। यूएपीए मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली प्रबीर पुरकायस्थ की याचिका पर सुनवाई के बाद जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि दिल्ली पुलिस द्वारा रिमांड कॉपी उपलब्ध नहीं कराई गई और इससे गिरफ्तारी का आधार प्रभावित हुआ है। इसलिए प्रबीर पुरकायस्थ की गिरफ्तारी को हम निरस्त करते हैं। जमानत बांड प्रस्तुत करने पर ट्रायल कोर्ट की संतुष्टि के आधार पर उनकी रिहाई की जाएगी।

दरअसल प्रबीर पुरकायस्थ (Prabir Purkayastha)  को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत न्यूजक्लिक पोर्टल के जरिए राष्ट्रविरोधी प्रचार को बढ़ावा देने और इस काम के लिए चीन से फंडिंग लेने के मामले में दिल्ली पुलिस ने पिछले साल अक्टूबर में गिरफ्तार किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि गिरफ्तारी के वक्त पुरकायस्थ (Prabir Purkayastha)  को पुलिस ने गिरफ्तारी का आधार नहीं दिया था। इसलिए वह जमानत के हकदार हैं। इस मामले में पिछले सप्ताह अपना आदेश सुरक्षित रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने न्यूजक्लिक के प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ को गिरफ्तारी के बाद मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने में जल्दबाजी दिखाने के लिए दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की खिंचाई की थी।

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के बाद शुरू हुई जांच

जांच एजेंसियों ने इस केस के सिलसिले में 3 अक्टूबर 2023 को दिल्ली में 88 और अन्य राज्यों में 7 स्थानों पर छापे मारे थे। न्यूजक्लिक के कार्यालयों और जिन पत्रकारों की जांच की गई उनके आवासों से लगभग 300 इलेक्ट्रॉनिक गैजेट भी जब्त किए गए थे।

अमेरिकी के प्रमुख अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित एक रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि न्यूजक्लिक पोर्टल एक ग्लोबल नेटवर्क का हिस्सा है, जिसे चीनी प्रोपेगेंडा को आगे बढ़ाने के लिए धन प्राप्त हुआ था।

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इस रिपोर्ट में कहा गया था कि शंघाई स्थित बिजनेसमैन नेविल रॉय सिंघम ने दुनिया भर के अन्य आउटलेट्स के अलावा न्यूजक्लिक को चीनी सरकार के मुद्दों के साथ अपना कवरेज फैलाने के लिए फंड मुहैया कराया था। इसके बाद भारतीय जांच एजेंसियों ने तहकीकात शुरू की।

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