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सुप्रीम कोर्ट एनसीबी के महानिदेशक को चेताया, कहा- सुस्ती बर्दाश्त नहीं

5 judges of supreme court corona positive

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के महानिदेशक को अपील दायर करने में देरी पर सख्त चेतावनी दी है। कोर्ट ने कहा कि आए दिन देरी से अपील करने के कई मामले सामने आ रहे हैं। इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस ऋषिकेश राय की पीठ के समक्ष पिछले हफ्ते एक ही दिन चार ऐसे मामले सूचीबद्ध थे। जिनमें सरकारी महकमों द्वारा अपील दायर करने में देरी की गई थी। इनमें से दो मामले एनसीबी से जुड़े थे। इन चार में से तीन मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी विभाग पर जुर्माना लगाया है।

एनसीबी द्वारा दायर की गई दो अपीलों पर सुनवाई करते हुए पीठ ने पाया कि अपील दायर करने में सरकारी महकमे का रवैया बेहद सुस्त है। पीठ ने कहा कि अपील दायर करने में बेवजह की देरी को स्वीकार नहीं किया जाएगा।

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वास्तव में इन दोनों मामलों में आरोपी को हाईकोर्ट से मिली जमानत के खिलाफ एनसीबी ने 400 से भी अधिक दिन के बाद अपील दायर की थी। इससे नाराज पीठ ने कहा कि ब्यूरो के पास अपील दायर करने में देरी का कोई उचित कारण नहीं है। सरकारी दफ्तरों में फाइल के एक से दूसरे टेबल तक जाने में हो रही देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने दोनों ही मामलों में एनसीबी पर 25-25 हजार रुपये का जुर्माना किया है।

जुर्माने की रकम अपील दायर करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों से वसूलने के लिए कहा गया है। जुर्माने की रकम चार हफ्ते के भीतर सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड कल्याण कोष में जमा करने के लिए कहा गया है। साथ में सुप्रीम कोर्ट ने एनसीबी को जुर्माने की रकम के साथ जिम्मेदार अधिकारी से रकम वसूलने का रिकॉर्ड भी पेश करने के लिए कहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश की प्रति को एनसीबी के महानिदेशक के पास भेजने के लिए कहा है, जिससे अपील में हो रही देरी का समाधान निकाला जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि हम एनसीबी के महानिदेशक को यह साफ कर देना चाहते हैं कि अगर इन निर्देशों का पालन नहीं किया गया तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है।

अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकारी महकमों के द्वारा अपील दायर करने में देरी आम बात हो गई है। अब हम अपील दायर करने में देरी को कतई स्वीकार नहीं करेंगे। नाराज कोर्ट ने कहा कि हमारे बार-बार कहने के बावजूद भी सरकारी महकमा इसे लेकर गंभीर नहीं है।

कोर्ट ने यह भी कहा कि अपील दायर करने में देरी का उद्देश्य यह भी होता है कि सरकार यह कह सके कि सुप्रीम कोर्ट ने ही याचिका खारिज कर दी है, इसलिए कुछ नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि हमारे बार-बार कहने के बावजूद फाइल पकड़ कर बैठे रहने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही है।

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