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सुप्रीम फैसला: हाथरस केस अभी यूपी से दिल्ली नहीं होगा ट्रांसफर,इलाहाबाद हाईकोर्ट करेगा निगरानी

हाथरस केस Hathras case

हाथरस केस

नई दिल्ली। यूपी के हाथरस जिले में दलित लड़की से हुए सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान अदालत ने कहा कि केस की निचली कोर्ट में सुनवाई (ट्रायल) को फिलहाल राज्य से बाहर दिल्ली स्थानांतरित नहीं किया जाएगा। मामले की जांच पूरी होने के बाद ट्रायल के स्थानांतरण पर विचार किया जा सकता है।

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मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि सीबीआई जांच की निगरानी इलाहाबाद हाईकोर्ट करेगी। सामाजिक कार्यकर्ताओं और वकीलों द्वारा दाखिल याचिकाओं में कहा गया था कि यूपी में मामले की निष्पक्ष जांच नहीं हो सकती है, क्योंकि जांच कथित तौर पर रोक दी गई थी। इस पर शीर्ष अदालल ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सीबीआई हाईकोर्ट के समक्ष केस की स्थिति रिपोर्ट दायर करेगी। मामले में जांच की निगरानी सहित सभी पहलुओं की देखरेख इलाहाबाद उच्च न्यायालय करेगा और गवाहों को सुरक्षा प्रदान की जाएगी।

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हाथरस में एक दलित लड़की से कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म किया गया था और उपचार के दौरान उसकी मौत हो गयी थी। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने एक जनहित याचिका और कार्यकर्ताओं और वकीलों की ओर से दायर कई अन्य हस्तक्षेप याचिकाओं पर 15 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। याचिकाओं में दलील दी गयी थी कि उत्तर प्रदेश में निष्पक्ष सुनवाई संभव नहीं है, क्योंकि कथित तौर पर जांच बाधित की गयी। पीड़त परिवार की ओर से पेश वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि इस मामले में जांच पूरी होने के बाद सुनवाई को यूपी के बाहर राष्ट्रीय राजधानी में स्थानांतरित कर दिया जाए।

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यूपी सरकार ने कहा है कि पीड़िता (19) के हाथरस जिले के चंदपा में रहने वाले परिजनों को पयार्प्त सुरक्षा दी जा रही है। इन परिजनों में पीड़ता के माता-पिता के अलावा दो भाई, एक भाभी और दादी शामिल हैं।

यूपी के हाथरस जिले में चार सवर्णों ने 19 वर्षीय दलित युवती के साथ कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म किया था। उपचार के दौरान दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में 29 सितंबर को लड़की की मौत हो गई। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने यूपी में मामले की निष्पक्ष सुनवाई नहीं होने की आशंका प्रकट की थी।

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