ज्योतिष गणना के अनुसार, ग्रहों के राजा सूर्य (Surya) हर महीने राशि बदलते हैं जिससे वे 1 साल में राशि चक्र पूरा करते हैं। जन्माष्टमी के अगले दिन यानी 17 अगस्त को सूर्य ने गोचर किया और उनका यह गोचर अपनी ही राशि यानी सिंह में हुआ। सूर्य गोचर को संक्रांति कहा जाता है। ऐसे में सूर्य के सिंह राशि में गोचर करने को सिंह संक्रांति कहा जाएगा। 17 अगस्त से सिंह राशि में प्रवेश करने के बाद एक महीने तक सूर्य देव इसी राशि में विराजमान रहेंगे। फिर पूरे एक महीने बाद यानी 17 सितंबर को सूर्य देव सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में प्रवेश करेंगे।
17 अगस्त को सूर्य (Surya) का सिंह राशि में गोचर
पंचांग के मुताबिक, इस बार की सिंह संक्रांति बेहद खास है क्योंकि सूर्य (Surya) का यह गोचर रविवार को हुआ, जो स्वयं सूर्य देव को समर्पित दिन है। ऐसे में सिंह संक्रांति को बेहद खास माना जा रहा है। 17 अगस्त को तड़के रात 2 बजे सूर्य देव ने कर्क राशि से निकलकर सिंह राशि में प्रवेश किया।
सूर्य (Surya) गोचर का प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, सूर्य (Surya) देव के राशि परिवर्तन से मेष, सिंह, तुला और वृश्चिक राशि वालों को लाभ मिलेगा। यह संक्रांति इन 4 राशि वालों के लिए सौभाग्यपूर्ण रहेगा। वहीं, सूर्य के सिंह राशि में गोचर करने से मिथुन, कन्या, मकर और मीन राशि वालों को नुकसान हो सकता है। ऐसे में इन 4 राशि वालों को सूर्य गोचर के दौरान सतर्क रहने का जरूरत है।
सिंह संक्रांति पर क्या करें?
धार्मिक मान्यता के अनुसार, सिंह संक्रांति पर ग्रहों के राजा सूर्य (Surya) देव की पूजा, मंत्र जाप और दान करना बहुत पुण्यदायी माना गया है। इस दिन लाल रंग के फूल, तांबा, गुड़, गेहूं और मसूर दाल का दान करना शुभ और लाभकारी होता है। साथ ही, सिंह संक्रांति के दिन ‘ॐ आदित्याय नमः’ या ‘ॐ भास्कराय नमः’ मंत्र का जाप करने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है।