7 सितंबर को लगने जा रहा है साल का दूसरा चंद्र ग्रहण। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहण का असर न सिर्फ खगोलीय दृष्टि से महत्वपूर्ण होता है बल्कि धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी इसे विशेष माना गया है। इसी कारण से ग्रहण से पहले सूतक काल (Sutak Kaal) शुरू हो जाता है। यहां जानिए सूतक का महत्व, इसकी अवधि और इस दौरान क्या करना चाहिए और किन कामों से बचना चाहिए
सूतक क्या होता है? (Sutak Kaal)
सूतक (Sutak) शब्द का अर्थ है ‘अशुद्धि’ या ‘अपवित्रता’। जब भी सूर्य या चंद्र ग्रहण होता है, तो उसका नकारात्मक प्रभाव पृथ्वी पर पड़ता है। इस नकारात्मक ऊर्जा से बचने के लिए, ग्रहण से पहले एक निश्चित समय को ‘सूतक काल’ कहा जाता है। इस दौरान शुभ कार्यों और पूजा-पाठ से बचना चाहिए।
चंद्र ग्रहण की शुरुआत: 7 सितंबर, रात 9 बजकर 58 मिनट पर होगी।
चंद्र ग्रहण का समापन: 8 सितंबर, देर रात 1 बजकर 26 मिनट पर होगा।
ग्रहण की कुल अवधि: 3 घंटे 29 मिनट
सूर्य और चंद्र ग्रहण में सूतक (Sutak Kaal) का समय क्या होता है?
सूर्य ग्रहण: सूर्य ग्रहण में सूतक काल ग्रहण शुरू होने से 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है।
चंद्र ग्रहण: चंद्र ग्रहण में सूतक काल ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है।
7 सितंबर को लगने वाला यह चंद्र ग्रहण भारत में भी दिखाई देगा, जिस कारण इसका सूतक काल भी मान्य होगा।
सूतक काल (Sutak Kaal) की शुरुआत: 7 सितंबर, दोपहर 12 बजकर 58 मिनट पर (ग्रहण से लगभग 9 घंटे पहले)
सूतक काल (Sutak Kaal) और ग्रहण के दौरान क्या करें और क्या न करें?
सूतक काल (Sutak Kaal) शुरू होते ही, कुछ नियमों का पालन करना बेहद ज़रूरी माना जाता है।
मंदिरों के कपाट बंद कर दें: सूतक काल शुरू होते ही मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं, ताकि ग्रहण की नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव भगवान की मूर्तियों पर न पड़े। ग्रहण समाप्त होने के बाद, मंदिर को अच्छी तरह साफ करके ही कपाट दोबारा खोले जाते हैं।
पूजा-पाठ न करें: सूतक और ग्रहण के दौरान मूर्ति पूजा और धार्मिक अनुष्ठान नहीं करने चाहिए। इस समय भगवान का ध्यान और मंत्र जप करना शुभ माना जाता है।
भोजन न करें: सूतक काल शुरू होने के बाद खाना पकाना और खाना नहीं चाहिए। अगर घर में पहले से बना हुआ खाना है, तो उसमें तुलसी का पत्ता डाल दें।
गर्भवती महिलाएं रहें सावधान: गर्भवती महिलाओं को इस दौरान बाहर नहीं निकलना चाहिए। माना जाता है कि ग्रहण की नकारात्मक किरणें गर्भ में पल रहे शिशु पर बुरा असर डाल सकती हैं। उन्हें सिलाई, बुनाई और काटने जैसे कामों से भी बचना चाहिए।
क्या करें: ग्रहण के बाद स्नान करें, स्वच्छ कपड़े पहनें और घर की अच्छी तरह साफ-सफाई करें। इससे ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव खत्म हो जाता है।