आगरा। श्री शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया मैनेजमेंट एंड रिसर्च की छात्राओं के यौन उत्पीड़न के आरोपी पार्थसारथी उर्फ चैतन्यानंद सरस्वती (Chaitanyananda Saraswati) को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया गया है।चैतन्यानंद आगरा के एक होटल ‘फर्स्ट ताजगंज’ में छुपा हुआ था, जहां से पुलिस ने उसे धर-दबोचा है। आरोपी अपने खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज होने के बाद फरार था। गिरफ्तारी के बाद पुलिस चैतन्यानंद को कोर्ट में पेश करेगी। इसके बाद पुलिस आरोपी की रिमांग मांग सकती है।
गिरफ्तारी से बचने के लिए चैतन्यानंद (Chaitanyananda Saraswati) ने कोर्ट में जमानत याचिका भी दायर की थी। मगर दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती की अग्रिम जमानत खारिज कर दी थी। सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया था कि चैतन्यानंद सरस्वती ने संयुक्त राष्ट्र प्रतिनिधि होने का दावा किया था। इसके साथ ही स्वामी चैतन्यानंद पर बड़ी करवाई हुई थी। लगभग 8 करोड़ रुपये जो 18 खातों और 28 एफडी में जमा थे फ्रीज किए गए। ये रकम आरोपी पार्थसारथी द्वारा बनाए गए ट्रस्ट से जुड़ी थीं।
क्या है पूरा मामला?
कुछ दिन पहले श्री शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट की 17 छात्राओं ने यौन शोषण का आरोप लगाते हुए बताया था- चैतन्यानंद (Chaitanyananda Saraswati) रात को जबरदस्ती उन्हें अपने बेडरूम में बुलाता था और उनके साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर करता था। इसके अलावा गर्ल्स हॉस्टल के कमरों में भी सीसीटीवी लगाने का आरोप सामने आया था। पुलिस ने यौन शोषण के अलावा स्वामी चैतन्यानंद पर फर्जी नंबर प्लेट का उपयोग करने और धर्म का इस्तेमाल करके धोखाधड़ी का केस भी दर्ज किया था। आरोप लगने का बाद से दिल्ली पुलिस चैतन्यानंद को ढूंढ रही थी। रविवार को पुलिस ने आगरा से आरोपी चैतन्यानंद को गिरफ्तार कर लिया।
छात्राओं से अश्लील सवाल
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़ित छात्राओं का आरोप है कि स्वामी उनसे अश्लील सवाल पूछता था, जैसे कि क्या उन्होंने किसी से शारीरिक संबंध बनाए हैं और यदि बनाए हैं तो क्या कंडोम का इस्तेमाल किया गया। इसके अलावा, वह रात के समय छात्राओं को वाट्सऐप पर मैसेज भेजता था, जिनमें लिखा होता था—Baby, I love you
कई छात्राओं ने यह भी बताया कि उन्हें देर रात उसके निजी कक्ष में बुलाया जाता था और फॉरेन ट्रिप के लिए दबाव बनाया जाता था। एक शिकायतकर्ता का कहना है कि उसे जबरन मथुरा ले जाने की कोशिश भी की गई।
विरोध पर रोक दी जाती थी डिग्री
जो छात्राएं विरोध करती थीं, उन्हें परेशान किया जाता था। उनकी उपस्थिति (अटेंडेंस) काट दी जाती, अंक कम कर दिए जाते और डिग्री रोक दी जाती। मामले की एफआईआर में तीन महिला स्टाफ सदस्यों के नाम भी दर्ज हैं, जिनमें एक असोसिएट डीन शामिल है। इन पर आरोप है कि उन्होंने छात्राओं पर दबाव डाला, सबूत मिटाने को कहा और पहचान छिपाने के लिए नाम बदलवाने तक की मांग की।
एक पीड़िता ने बताया कि स्वामी (Chaitanyananda Saraswati) ने उसका मोबाइल फोन छीन लिया, उसे हॉस्टल में अलग-थलग कर दिया और उसकी हर गतिविधि पर नजर रखी। यहां तक कि धमकी दी गई कि अगर वह विरोध करेगी तो उसका राज प्रभावशाली लोगों के सामने खोल दिया जाएगा।