सहकारिता विभाग में हुए भर्ती घोटाले में अब चयनित कर्मचारियों पर गाज गिराने की तैयारी है। इस भर्ती घोटाले के आरोपी अधिकारियों के खिलाफ एसआईटी ने रिपोर्ट दर्ज करा दी है। इसके बाद से उन 2324 कर्मचारियों-अधिकारियों पर भी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। इन सभी की भर्ती समाजवादी पार्टी के शासनकाल में 2012 से 2017 के बीच हुई थी।
01 अप्रैल 2012 से 31 मार्च 2017 के बीच सहकारिता विभाग की सात संस्थाओं में 2374 पदों पर भर्तियां हुई थी। इन भर्तियों की जिम्मेदारी उप्र सहकारी संस्थागत सेवा मंडल पर थी। भाजपा सरकार बनने के बाद इस भर्ती घोटाले की जांच एसआईटी को सौंपी गई थी। जांच के बाद अधिकारियों के खिलाफ तो एफआईआर करा दी गई है।
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अब चयनित 2324 कर्मचारियों की नौकरी खतरे में है। क्योंकि भाजपा सरकार ने उप्र कोआपरेटिव बैंक लिमिटेड में सहायक प्रबंधकों की भर्ती में भ्रष्टाचार की शिकायत के बाद सभी 50 सहायक प्रबंधकों को एक महीने की नोटिस देकर बर्खास्त कर दिया था। उस प्रकरण को देखते हुए इन 2324 पदों पर चयनित लोगों के बीच हडक़ंप मचा हुआ है। इस मामले में बैंक के तत्कालीन प्रबंध निदेशक आरके सिंह, सेवा मंडल के चेयरमैन रामजतन यादव, सदस्य संतोष कुमार व कई अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था।
एसआईटी ने जिस भर्ती मामले में अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की है, उनमें सहकारिता विभाग के छह विभाग है। सबसे अधिक 1018 पर उप्र सहकारी ग्राम विकास बैंक में असिस्टेंट एकाउंटेंट और सहायक शाखा आंकिक के हैं। इसके बाद 762 पद जिला सहकारी बैंकों में वरिष्ठ शाखा प्रबंधक, कनिष्ठ शाखा प्रबंधक, कैशियर व टाइपिस्ट के हैं।
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इसके अलावा यूपी कोऑपरेटिव यूनियन में कनिष्ठ सहायक के 303 पद, उप्र राज्य भंडारागार निगम में उप प्रबंधक व कनिष्ककार्यालय सहायक के 69 पद, यूपी पीसीएफ में सहायक प्रबंधक व कैशियर के 154 पद और उप्र राज्य सहकारी संघ लिमिटेड में सहायक अभियंता के 16 पद और उप प्रबंधक 02 पद हैं। इन पदों पर चयनित सभी लोगों के सिर पर बर्खास्तगी तलवार लटक रही है।