Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

मोहर्रम पर ताजिया कर्बला में नहीं होगा दफन, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मोहर्रम पर ताजिया का जुलूस निकालने की अनुमति देने की याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट में शनिवार को मोहर्रम में ताजिये को जुलूस के साथ कर्बला में दफन करने की मांग को लेकर याचिका दाखिल की गई थी।

जस्टिस शशिकांत गुप्ता और जस्टिस शमीम अहमद की डिवीजन बेंच ने याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। जिसे आज सुनाया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शासनादेश को विभेदकारी नहीं मानते हुए चुनौती याचिकाओं को खारिज कर दिया है।

सरकार ने बढ़ाई अर्जुन अवॉर्ड और खेल रत्न अवॉर्ड की राशि, जानिए कितनी है पुररस्कार राशि

यह आदेश जस्टिस शशिकांत गुप्ता व जस्टिस शमीम अहमद की खंडपीठ ने रोशन खान सहित कई अन्य की जनहित याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा है कि सरकार ने कोरोना संक्रमण फैलने की आशंका को देखते हुए सभी धार्मिक समारोहों पर रोक लगायी है। किसी समुदाय विशेष के साथ भेदभाव नहीं किया गया है। जन्माष्टमी पर झांकी व गणेश चतुर्थी पर पंडाल पर भी रोक लगी है। उसी तरह मोहर्रम में ताजिया निकालने पर भी रोक लगी है। किसी समुदाय को टार्गेट करने का आरोप निराधार है। सरकार ने कोरोना फैलाव रोकने के लिए कदम उठाया है।

सुशांत का पैसा, रिया की मौज, पांच साल में 70 करोड़ रुपये की हुई लेनदेन

याची का यह कहना कि पुरी की रथयात्रा और मुंबई के जैन मंदिर में पर्यूषण प्रार्थना की अनुमति सुप्रीम कोर्ट ने दी। उसकी तुलना ताजिया दफनाने व अन्य समारोह करने से नहीं की जा सकती। कोर्ट ने कहा है कि हम समुद्र के किनारे खड़े हैं, कब कोरोना लहर हमें गहराई में बहा ले जाएगी, हम अंदाजा नहीं लगा सकते।

हमें कोरोना के साथ जीवन जीने की कला सीखनी होगी। कोर्ट ने कहा कि भारी मन से हम ताजिया निकालने की अनुमति नहीं दे रहे हैं। हमें विश्वास है भविष्य में ईश्वर हमें अपनी धार्मिक परंपराओं के साथ धार्मिक समारोहों के आयोजन का अवसर देंगे।

याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता वीएम जैदी, एसएफए नकवी, केके राय ने बहस की। इनका का कहना था कि धार्मिक समारोहों पर लगी रोक धार्मिक स्वतंत्रता के मूल अधिकारों का हनन है। सरकार धार्मिक भेदभाव कर रही है। कई त्योहार मनाने की छूट दी गयी है और ताजिया निकालने की अनुमति नही दी जा रही है।

राज्य सरकार के अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रामानंद पांडेय का कहना था धार्मिक स्वतंत्रता पर कानून व्यवस्था, नैतिकता, लोक स्वास्थ्य को देखते हुए प्रतिबंधित किया जा सकता है। सरकार ने अगस्त माह में सभी धार्मिक समारोहों पर रोक लगायी है। किसी के साथ भेदभाव नहीं किया गया है।

कोविड-19 के प्रकोप को देखते हुए धार्मिक कार्यक्रम घरों में रहकर मनाने का अनुरोध किया गया है। कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था। शनिवार को दोपहर बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए धार्मिक कार्यक्रम पर रोक के शासनादेशों के खिलाफ याचिकाएं खारिज कर दी है।

Exit mobile version