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मौनी अमावस्या पर करें स्नान व दान, जानें इसका महत्व

Mauni Amavasya

Somwati Amavasya

हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) का विशेष महत्व है। यह दिन पवित्रता, तपस्या और आत्मशुद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस वर्ष मौनी अमावस्या 29 जनवरी बुधवार को मनायी जाएगी। इस दिन श्रद्धालु मौन धारण करके गंगा समेत अन्य पवित्र नदियों में स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित करेंगे। मौनी अमावस्या का शाब्दिक अर्थ है ‘मौन रहने वाली अमावस्या’। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मौन धारण करके नदियों में स्नान करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और आत्मा शुद्ध होती है। इस दिन गंगा स्नान करने का विशेष महत्व है।

मान्यता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पाप मिट जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। पंडित पुरेंद्र उपाध्याय कहते हैं कि मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) पर मौन रहना आत्मसंयम का प्रतीक है। यह दिन ऋषि मुनियों और तपस्वियों की तपस्या और साधना की स्मृति को समर्पित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन ‘मनु’ ने अपने मौन व्रत का पालन किया था। इसलिए इसे ‘मौनी अमावस्या’ कहा जाता है।

मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) पर कब करें स्नान व दान:

पंडित सूर्यमणि पांडेय के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन सूर्योदय से पहले मौन धारण कर स्नान करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। इस वर्ष स्नान का शुभ मुहूर्त 29 जनवरी को ब्रह्म मुहूर्त से शुरू होगा और पूरे दिन रहेगा। इस दिन श्रद्धालु नदी स्नान के बाद भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करते हैं। दान-पुण्य का भी विशेष महत्व है। जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन दान करना अत्यंत पुण्यदायी है।

स्नान का विशेष महत्व:

जो श्रद्धालु प्रयागराज संगम या कुंभ स्थलों पर स्नान करते हैं, उनके लिए यह दिन और भी खास होता है। संगम में स्नान करना तीन पवित्र नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में डुबकी लगाने का अवसर प्रदान करता है। यह आत्मशुद्धि और मोक्ष का प्रतीक माना गया है।

मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) का व्रत और स्नान व्यक्ति के जीवन में शांति, संयम और सकारात्मकता लाने का कार्य करता है। इस वर्ष मौनी अमावस्या पर श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान और पूजा-अर्चना कर अपने जीवन को धर्ममय और पुण्यमय बनाने का प्रयास करेंगे। यह दिन अध्यात्म और आत्म-ज्ञान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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