वास्तुशास्त्र (Vastu) में घर की सीढ़ियों (Stairs) के निर्माण का अपना विशेष महत्व है। प्राचीन वास्तु ग्रंथों ने भी इसकी महत्ता बताई है। आम रूप से देखें, तो ये सीढ़ियां ही हैं, जो हमें ऊपर से नीचे लाती हैं और नीचे से ऊपर भी ले जाती हैं। वास्तु शास्त्री और ज्योतिषाचार्या साक्षी शर्मा से जानते हैं कि सीढ़ियों को घर मे कैसे उपयोग करें कि वो हमें उन्नति की ओर अग्रसर कर सकती हैं।
वास्तु के नियमानुसार, सीढ़ियां घर के ईशान कोण और ब्रह्म स्थान को छोड़कर किसी भी दिशा में बनाई जा सकती हैं। सबसे अच्छा होगा, अगर आप दक्षिण में सीढ़ियों का निर्माण करें। दूसरे स्थान पर सीढ़ियां पश्चिम में बना सकते हैं। तीसरे स्थान पर आग्नेय कोण में, चौथे स्थान पर वायव्य कोण में, पांचवे स्थान पर पूरब में और छठे स्थान पर उत्तर में सीढ़ियों का निर्माण करा सकते हैं।
सीढ़ियां भारी और ऊंची होती हैं, तो इसके लिए उसी स्थान को चुनते हैं जो वास्तु के अनुसार इसके लिए निश्चित है। अर्थात दक्षिण-पश्चिम कोना। यदि यहां सीढ़ियां, होंगी तो घर की उन्नति और विकास आगे बढ़ सकता है। दक्षिण और पश्चिम में भी सीढ़ियां बनाना वास्तु के अनुकूल है।
वास्तु शास्त्र के हिसाब से सीढ़ियां यदि विषम संख्या में हों, तो अच्छा रहता है। जैसे 5, 7, 9, 11, 13, 15, 17, 19, 21, 23, 25 आदि। इसके अलावा यदि सीढ़ियों की संख्या विषम भी हो और 3 से भाग देने पर 2 शेष बचे तो वह संख्या अति उत्तम मानी गई है, जैसे 17, 23, 29 आदि।