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तालिबान ने दानिश सिद्दीकी की पहचान जाहिर होने के बाद बेरहमी से मारा: अमेरिका का दावा

वॉशिंग्टन. रॉयटर्स की ओर से अफ़ग़ानिस्तान और तालिबन के बीच जारी संघर्ष को कवर कर रहे भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी की मौत के मामले में एक अमेरिकी मैगजीन ने नया दावा किया है। वॉशिंगटन एग्जामिनर नाम की मैगजीन की रिपोर्ट के मुताबिक, दानिश की मौत क्रॉस फायरिंग में नहीं हुई, बल्कि तालिबान के आतंकियों ने उनकी हत्या की थी। इससे पहले यह जानकारी सामने आई थी कि पुलित्जर अवॉर्ड विजेता दानिश की 16 जुलाई को तालिबान और अफगान सेना की क्रॉस फायरिंग में मौत हो गई थी। वे रॉयटर्स की ओर से इस संघर्ष को कवर कर रहे थे।

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मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि दानिश पाकिस्तान से सटे इलाके में अफगान बलों के साथ थे। तभी उन पर तालिबान के आतंकवादियों ने घात लगाकर हमला कर दिया था। मैगजीन के मुताबिक, सिद्दीकी की मौत के हालात अब साफ हैं। वह सिर्फ फायरिंग में नहीं मारे गए थे। तालिबान ने उनकी बेरहमी से हत्या की थी।

रिपोर्ट के मुताबिक, अफगान अधिकारियों ने बताया था कि दानिश अफगान नेशनल आर्मी की एक टीम के साथ स्पिन बोल्डक एरिया में गए थे। यहां तालिबान के साथ अफगान सेना का जोरदार संघर्ष चल रहा है। इसी दौरान तालिबान आतंकियों ने हमला कर टीम को दो हिस्सों में बांट दिया। दानिश, अफगान कमांडर और तीन अफगान सैनिक बाकी यूनिट से अलग हो गए।

इस हमले के दौरान दानिश को छर्रे लगे थे। इसलिए वह और उनकी टीम एक स्थानीय मस्जिद में चले गए। वहां उनका इलाज किया गया। हालांकि, जैसे ही यह खबर फैली कि एक पत्रकार मस्जिद में है, तालिबानी आतंकी वहां पहुंच गए। जांच से पता चला है कि तालिबान ने दानिश की मौजूदगी के कारण ही मस्जिद पर हमला किया था।

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तालिबान ने जिंदा पकड़ा था दानिश को

रिपोर्ट में दावा किया गया कि दानिश को तालिबान ने जिंदा पकड़ा था। आतंकियों ने दानिश की पहचान की पुष्टि की और फिर उन्हें व उनके साथ के लोगों को मार डाला। रिपोर्ट लिखने वाले माइकल रुबिन के मुताबिक दानिश की सर्कुलेट की गई फोटो में उनका चेहरा पहचाना जा सकता है। माइकल अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट में सीनियर फेलो भी हैं।

उन्होंने भारत सरकार के एक सूत्र से मिली दूसरी फोटो और एक वीडियो को देखा। उसमें पता चलता है कि तालिबानी आतंकियों ने दानिश के सिर पर कई वार किए और फिर उन्हें गोलियों से छलनी कर दिया।

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तालिबान हमेशा क्रूर होते हैं

रिपोर्ट में कहा गया है तालिबान हमेशा क्रूर होते हैं, लेकिन हो सकता है कि दानिश के भारतीय होने के कारण उन्होंने ज्यादा क्रूरता दिखाई हो। वे यह भी संकेत देना चाहते हैं कि पश्चिमी पत्रकारों का उनके कब्जे वाले इलाके में आना ठीक नहीं है।

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तालिबान ने दानिश की मौत पर जताया था दुख

तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने एक समाचार पत्र से बातचीत में दानिश की मौत पर दुख जताया था। तालिबन ने कहा था कि हम इस बात से दुखी हैं कि पत्रकार हमें बिना बताए युद्धग्रस्त इलाके में आ रहे हैं। उन्होंने कहा था कि हमें नहीं पता कि किसकी गोलीबारी में पत्रकार मारा गया। युद्धग्रस्त इलाके में आने वाले किसी भी पत्रकार को हमें इसकी जानकारी देनी चाहिए। हम उसकी पूरी देखभाल करेंगे।

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